सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि कोई भी किरायेदार, जिसने किसी मकान मालिक से किरायानामा (Rent Deed) के तहत मकान या दुकान किराए पर ली है, वह बाद में उस संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किरायेदार कई दशकों तक उसी व्यक्ति या उसके वारिसों को किराया देता रहा है।