एन. रघुरामन का कॉलम:यदि एआई नहीं तो एक ‘पावर यूजर’ आपको रिप्लेस कर सकता है

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पिछले चार महीनों से सी. रमेश के बॉस अकसर उनके हाफ केबिन के पीछे खड़े हो जाते थे। उनकी नजर रमेश के कम्प्यूटर पर रहती और कई मिनटों तक किनारे पर खड़े होकर उनसे कुछ चर्चा करते। सभी सोचते कि ‘बॉस ऐसे गैर-योगदानकर्ता कर्मचारी के पीछे क्यों समय बर्बाद कर रहे हैं, जिसने विभाग के लिए कुछ नहीं किया?’ रमेश के सुपरवाइजर को निर्देश थे कि मासिक प्रोडक्टिविटी स्प्रेडशीट में उनके योगदान की गणना ना करें, क्योंकि वे शीर्ष प्रबंधन के लिए कुछ काम कर रहे हैं। लंच ब्रेक और ऑफिस के बाद दूसरे कर्मचारियों ने पता लगाने की कोशिश की, लेकिन रमेश चुप रहे। धीरे-धीरे सहकर्मी दूर हो गए और उनके कमजोर प्रदर्शन को लेकर बुरी बातें करने लगे। रमेश इससे परेशान नहीं हुए। यदि कोई सोचता है कि रमेश ने अपनी यह ब्रांडिंग मैनेज की है तो वह पूरी तरह गलत है। क्योंकि उन्होंने यह निकटता एआई को मैनेज करने के कौशल से बनाई है। अचानक, पिछले हफ्ते रमेश को अक्टूबर का एम्प्लॉई ऑफ द मंथ अवॉर्ड मिला। कोई अधीनस्थ उन्हें बधाई देने नहीं आया, हालांकि उनका नाम घोषित होने पर सभी ने ताली बजाई। जानते हैं क्यों? क्योंकि बॉस ने स्टैंडिंग मीटिंग में उनकी तारीफ करते हुए कहा- ‘मुझे चार महीने बाद रमेश के विभाग में किसी की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि वह और एआई को ‘पावर यूज’ करने की उनकी क्षमता से विभाग सिर्फ दो लोगों तक सिमट सकता है।’ आप सोच रहे होंगे कि रमेश ने क्या किया। हालांकि वे बताना नहीं चाह रहे थे, लेकिन उन्होंने एक उदाहरण दिया कि कैसे एक एआई टूल से कंप्यूटर में कई एप्लिकेशन जोड़े जा सकते हैं। मसलन, कोई भी चैटजीपीटी के जरिए गूगल शीट्स से तिमाही फाइनेंशियल डेटा को ऑटोमैटिकली इंटुइट के क्विकबुक्स में इम्पोर्ट कर सकता है। फिर रिजल्ट का पिछली अर्निंग रिपोर्ट की तुलना में विश्लेषण कर पांच मिनट से भी कम समय में फाइनल रिपोर्ट दे सकता है। अन्यथा इसमें पूरा दिन लगता था। आपको अच्छा लगे या नहीं, लेकिन अमेरिका के कॉर्पोरेट हाउसेस में चेतावनी दी जा रही है कि ‘यदि काेई बॉट आपको रिप्लेस नहीं करता, तो एआई का बेहतर उपयोग करने वाला इंसान करेगा, वह भी मार्च 2026 से पहले।’ कई आईटी विशेषज्ञों की तरह आईटी पेशेवर रमेश भी जानते हैं कि एआई वो सब कुछ कर सकता है, जो आप चाहते हैं। लेकिन यह उतना ही जानता है, जितना आप बताते हैं। वे सही हैं। बहुत-सा बॉट-निर्मित मैटेरियल सामान्य और कम गुणवत्ता वाला वर्कस्लॉप होता है- (आईटी और बिजनेस के संदर्भ में वर्कस्लॉप उस एआई-जनरेटेड कंटेंट को कहा जाता है, जो दिखता तो पॉलिश्ड है- लेकिन उसमें गहराई, सटीकता या अर्थ की कमी होती है।) यह टास्क आगे नहीं बढ़ाता और प्राप्तकर्ता को इसे सुधारने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। यह ‘वर्क’ और ‘स्लॉप’ का संयोजन है, जो इंसानी समझ, समीक्षा और पुष्टि के बगैर एआई के जरिए बनाए गए कम गुणवत्ता वाले आउटपुट को दर्शाता है। इसलिए ‘पावर यूजर्स’ (वे लोग, जो बेहतर प्रॉम्प्ट देना जानते हैं) प्रॉम्प्ट्स को सुधारने के लिए दिन-रात अभ्यास करते हैं, ताकि बेहतर रिजल्ट ले सकें। और रमेश भी कंप्यूटर पर कुछ और नहीं, बल्कि प्रॉम्प्ट्स रिफाइन कर रहे थे, जिन्हें प्रबंधन की मंजूरी के बाद पूरा ऑफिस इस्तेमाल कर सकेगा। वे दिमाग में आने वाले प्रॉम्प्ट्स देते रहते और बॉस पीछे खड़े होकर खुद के प्रॉम्प्ट्स भी जोड़ते। चूंकि एआई दोनों की थॉट प्रोसेस का आदी हो गया, इसलिए वह रमेश को बहुत जल्दी प्रतिक्रिया दे रहा था और उन्होंने तेज गति से काम पूरा कर लिया। कई सारे टूल्स के बजाय, उन्होंने एआई असिस्टेंट को समय दिया और इसे अधिक प्रभावी बनाया। फंडा यह है कि यदि आपको एआई की थोड़ी भी जानकारी है, तो अपना अधिकांश समय प्रॉम्प्टिंग, एडिटिंग, टिंकरिंग, एन्हांसिंग और फिर फिक्सिंग में लगाएं। याद रखें खुद को ‘पावर यूजर’ बनाने के लिए आपको एआई को सिर्फ शिक्षित करने की जरूरत है।