पाकिस्तान की कायराना करतूत से रूबरू होंगे स्कूली बच्चे, NCERT की किताबों में पढ़ाया जाएगा 'ऑपरेशन सिंदूर'

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एनसीईआरटी ने स्कूलों की किताबों में नया और खास मॉड्यूल जोड़ा है. इस मॉड्यूल का नाम ऑपरेशन सिंदूर है, जो कक्षा 3 से 12 तक के बच्चों के लिए तैयार किया गया है. इसका मकसद बच्चों को पाकिस्तान की कायराना करतूत से रूबरू कराते हुए न सिर्फ पहलगाम आतंकी हमले के बारे में बताना है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत नीति और उसमें आम लोगों की अहम भूमिका को भी समझाना है. इस मॉड्यूल से बच्चे सीखेंगे कि देश में शांति और एकता बनाए रखने के लिए हर नागरिक का योगदान कितना जरूरी है.पहलगाम हमले में पाकिस्तान की भूमिकाइस मॉड्यूल में पहलगाम आतंकी हमले की पूरी कहानी को सरल और स्पष्ट तरीके से बताया गया है. किताब में साफ-साफ लिखा है कि यह हमला पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के इशारे पर हुआ था. हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा इस हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया, लेकिन सबूत बताते हैं कि यह हमला उसकी शह पर ही हुआ. एनसीईआरटी ने बच्चों को यह समझाने की कोशिश की है कि पड़ोसी देश काफी समय से भारत में अशांति और अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता रहा है. भारत ने हर बार इन कोशिशों का माकूल जवाब दिया है और आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को और मजबूत किया है.मॉड्यूल में इन हमलों का भी जिक्रपहलगाम हमले के अलावा मॉड्यूल में कुछ और बड़े आतंकी हमलों का भी जिक्र है. इनमें 2016 का उरी हमला और 2019 का पुलवामा हमला आदि शामिल हैं. इन घटनाओं को शामिल करने का मकसद बच्चों को यह बताना है कि आतंकवाद सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि पूरे समाज की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है. यह हिस्सा बच्चों को सोचने पर मजबूर करेगा कि आतंकवाद का असर सिर्फ सैनिकों या सरकार पर नहीं, बल्कि आम लोगों की जिंदगी पर भी पड़ता है.ऑपरेशन सिंदूर: एक नाम, हजारों कहानियांऑपरेशन सिंदूर नाम के इस मॉड्यूल में एनसीईआरटी ने बताया है कि यह सिर्फ एक सैन्य अभियान का नाम नहीं है, बल्कि यह उन शहीदों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी. यह उन महिलाओं के साहस और दुख को भी दिखाता है, जिन्होंने इस हमले में अपना सुहाग खो दिया. इसका नाम 'सिंदूर' इसलिए चुना गया, क्योंकि यह उन विधवाओं के प्रति सम्मान और समाज की एकजुटता का प्रतीक है. यह नाम बच्चों को यह सिखाता है कि देश की रक्षा में हर व्यक्ति की भावनाएं और बलिदान शामिल हैं.कश्मीर के लोगों के साहस का भी जिक्रमॉड्यूल का एक खास हिस्सा कश्मीर के स्थानीय लोगों की बहादुरी को समर्पित है. पहलगाम हमले के बाद वहां के लोगों ने जिस तरह आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की, उसकी खूब तारीफ की गई है. किताब में लिखा है कि स्थानीय लोग खुलकर आतंकियों के खिलाफ खड़े हुए और यह साबित किया कि कश्मीर की असली पहचान हिंसा नहीं, बल्कि शांति और भाईचारा है. यह हिस्सा बच्चों को सिखाता है कि समाज में एकता और साहस कितना जरूरी है. कश्मीर के लोगों की इस हिम्मत को मॉड्यूल में एक मिसाल के तौर पर पेश किया गया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी.यह भी पढ़ें: DU के इन टॉप कॉलेज में मिल गया एडमिशन तो करियर हो जाएगा सेट, देखें लिस्ट