केरल की ताड़ी या गोवा की फेनी, किसमें ज्यादा होता है नशा?

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केरल की मशहूर ताड़ी और गोवा की फेनी इनमें से किसमें ज्यादा नशा होता है? ये दोनों पेय भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, लेकिन इनके बीच की जंग में कौन बाजी मारता है? आइए, इस सवाल का जवाब तलाशते हैं.क्या है ताड़ीसबसे पहले बात करते हैं केरल की ताड़ी की. ताड़ी, जिसे स्थानीय भाषा में 'कल्लू' भी कहते हैं. नारियल या ताड़ के पेड़ों के रस से बनती है. यह रस निकालने के बाद प्राकृतिक रूप से खमीर उठता है और कुछ ही घंटों में यह हल्का नशीला पेय बन जाता है. ताड़ी में अल्कोहल की मात्रा आमतौर पर 8.1% होती थी लेकिन हाल ही में केरल सरकार ने अपने पारंपरिक पाम ड्रिंक ताड़ी में अल्कोहल की लीगल लिमिट को 8.1% से बढ़ाकर 8.98% कर दिया. अगर इसे ज्यादा देर तक खमीर उठने दिया जाए, तो यह और तीखी और नशीली हो सकती है, लेकिन ज्यादातर ताड़ी को ताजा ही परोसा जाता है. ताड़ी की खासियत है इसका मीठा-खट्टा स्वाद होता है. इसे अक्सर मसालेदार स्नैक्स के साथ परोसा जाता है.गोवा की फेनी क्यों खासअब बात करते हैं गोवा की फेनी की फेनी दो तरह की होती है . नारियल फेनी और काजू फेनी. नारियल फेनी ताड़ी से बनती है, जिसे दो बार डिस्टिल (आसवन) किया जाता है. पहला आसवन 'उरक' कहलाता है, जिसमें अल्कोहल की मात्रा 15-16% होती है. दूसरा और तीसरा आसवन फेनी को जन्म देता है, जिसमें अल्कोहल की मात्रा 42.8 से 45% तक हो सकती है. काजू फेनी काजू के फल के रस से बनती है और इसका अल्कोहल कंटेंट भी 40-45% के बीच होता है. फेनी का स्वाद तीखा और सुगंध तेज होती है, जो इसे खास बनाती है. गोवा में इसे नीट, पानी के साथ, या कॉकटेल में पीया जाता है.कौन ज्यादा नशीलातो, अगर तुलना करें, तो ताड़ी में अल्कोहल की मात्रा फेनी के मुकाबले कम होती है. इसका मतलब है कि फेनी, ताड़ी की तुलना में कहीं ज्यादा नशीली होती है. हालांकि, ताड़ी को ज्यादा देर तक खमीर उठने देने पर इसका नशा बढ़ सकता है, लेकिन फिर भी यह फेनी की तुलना में कम ही रहता है.इसे भी पढ़ें- धीरे-धीरे पानी में समा रहे दुनिया के ये शहर, लिस्ट में भारत की भी यह सिटी शामिल