मानसून सत्र के पहले ही दिन जगदीप धनकड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. इसके पीछे उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था और कहा था कि मैं मेडिकल एडवाइस पर इस्तीफा दे रहा हूं. इस फैसले के बाद से सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं. कई लोगों ने इसे जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े महाभियोग से जोड़कर देखा. एक ओर तो पूरा विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर रहा, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी की इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. न्यूज तक पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार आदेश रावल ने इस फैसले पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि धनकड़ साहब के इस्तीफे के पीछे कोई तबीयत से जुड़ा मामला नहीं था. इसकी झलक हमें शुक्रवार (25 जुलाई 2025) को देखने को मिली, जब सदन में किसी ने भी इस्तीफे को लेकर कुछ कहा, जो शुरुआत में लग रहा था कि ये बड़ा मुद्दा होगा. दूसरी तरफ इस्तीफे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक छोटा सा ट्वीट कर रस्मदायगी कर दी. इसके अलावा एक चौंकाने वाली बात ये देखने को मिली की राहुल गांधी ने तो इस पर एक भी ट्वीट नहीं किया.राहुल गांधी ने क्यों नहीं दिया कोई रिएक्शन?उन्होंने आगे कहा कि दरअसल राहुल गांधी का मानना है कि यह मामला पूरा का पूरा सरकार के भीतर का है. उसमें हमारा ज्यादा मतलब नहीं है. राहुल गांधी का ज्यादा फोकस बिहार में इंटेंसिव वोटर रिवीजन पर है. वे डे वन से उसी पर टिके हुए हैं और उसी को लेके बार-बार सवाल खड़े कर रहे हैं और रोज चुनाव आयोग से सवाल पूछते हैं संसद में जाकर.दिसंबर में बीमार थे धनखड़आदेश रावल ने कहा कि यह बात बिल्कुल साफ है कि धनखड़ साहब की तबीयत बिल्कुल ठीक है. उनको कुछ भी नहीं हुआ है और बिल्कुल स्वस्थ है. अगर तबीयत का बहाना होता तो शायद सोमवार को जब वो संसद सत्र शुरू हुआ था उस दिन वो राज्यसभा में नहीं आते. सही मायने में बीमार थे वो दिसंबर में जब एम्स में भर्ती हुए थे और जब बजट सेशन स्टार्ट हुआ तो उन्होंने आकर ये कहा था कि मेरी तबीयत खराब थी और मुझसे रोज ममता बनर्जी और सोनिया गांधी मेरी पत्नी को फोन करके मेरा हालचाल पूछती थी.