14 दिन और एक ही मिशन... पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा कैसे हुआ ढेर? ऑपरेशन महादेव की इनसाइड स्टोरी

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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने सोमवार (28 जुलाई 2025) को पहलगाम हमले का बदला लेते हुए श्रीनगर में एक मुठभेड़ में मास्टरमाइंड सुलेमान शाह उर्फ हाशिम मूसा को मार गिराया. ऑपरेशन महादेव के नाम से शुरू की गई इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए. मुठभेड़ के बाद आतंकियों के पास से अमेरिकी M4 कार्बाइन, AK-47 राइफल, 17 राइफल ग्रेनेड, और अन्य संदिग्ध सामग्री बरामद की गई है.  लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का आतंकवादी सुलेमान शाह उर्फ मूसा पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व कमांडो था. आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वह हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया.सुरक्षा बलों को मिला एक तकनीकी संकेतइस ऑपरेशन का नाम जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित महादेव चोटी के नाम पर रखा गया था. आतंकवादी महादेव चोटी की तलहटी में घने जंगलों में छिपे हुए थे. सुरक्षा बलों को करीब एक महीना पहले यहां संदिग्ध की सूचना मिली थी. सुरक्षा बलों को इस क्षेत्र में एक चीनी अल्ट्रा-रेडियो संचार प्रणाली के सक्रिय होने की सूचना मिली, जिसके बाद यह अभियान चलाया गया. लश्कर-ए-तैयबा एन्क्रिप्टेड संदेशों के लिए चीनी रेडियो का इस्तेमाल करता है.14 दिनों तक आतंकियों पर नजर रखी गईसुरक्षा बलों ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले 14 दिनों तक लश्कर और जैश के आतंकियों पर नजर रखी. लश्कर-ए-तैयबा एन्क्रिप्टेड संदेशों के लिए चीनी के जिस रेडियो का इस्तेमाल करता है उसे 2016 में WY SMS भी कहा जाता था. सुरक्षा बलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर हरवान के मुलनार इलाके में अभियान शुरू किया.  सुरक्षा बलों घटनास्थल के कई हथियार मिले हैं जिससे उनको शक है कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में किसी बड़ी कार्रवाई की योजना बना रहे थे.इन आतंकवादियों में से एक की पहचान जिबरान के रूप में हुई है, जिसके बारे में अधिकारियों का कहना है कि वह पिछले साल अक्टूबर में गगनगीर में सोनमर्ग सुरंग परियोजना पर हुए हमले में शामिल था। इस हमले में एक डॉक्टर समेत सात लोग मारे गए थे. एक अन्य आतंकी की पहचान हमजा अफगानी के रूप में हुई है.