कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष लाड ने गुरुवार (31 जुलाई 2025) को देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS से बड़े पैमाने पर छंटनी के पीछे का कारण बताने को कहा है. उन्होंने कहा, "कल हमें जानकारी मिली कि टीसीएस 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करने वाली है. हमारे विभाग ने कारण जानने के लिए टीसीएस अधिकारियों को बुलाया है.” उन्होंने कहा कि सनराइज इंडस्ट्रीज को श्रम कानूनों से छूट दी गई है, लेकिन कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं.'बड़े पैमाने पर नौकरियों में कटौती को खतरनाक'कर्नाटक सरकार के मंत्री ने कहा, “हमने सनराइज इंडस्ट्रीज को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर रखा है और पिछले पांच साल से हम उन्हें साल-दर-साल छूट दे रहे हैं, फिर भी कुछ शर्तें जुड़ी हैं.” सनराइज क्षेत्र का अर्थ ऐसा नया या अपेक्षाकृत नया उद्योग है जो तेजी से ग्रो कर रहा है और जिसके भविष्य में अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण चालक बनने की उम्मीद है. टीसीएस में बड़े पैमाने पर नौकरियों में कटौती को खतरनाक बताया हैउन्होंने कहा, “अगर वे किसी को नौकरी से निकालना चाहते हैं, तो उन्हें हमें जानकारी देनी होगी. हम उनसे इसी आधार पर बात कर रहे हैं.” टीसीएस ने संकेत दिया था कि वह इस साल अपने वैश्विक कार्यबल के लगभग दो फीसदी या 12,261 कर्मचारियों की छंटनी करने वाली है, जिनमें से अधिकांश मध्यम और वरिष्ठ वर्ग के होंगे.जून, 2025 के अंत तक टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6,13,069 थी. हाल ही में समाप्त अप्रैल-जून तिमाही में इसने अपने कर्मचारियों की संख्या में 5,000 की बढ़ोतरी की. टीसीएस ने बयान में कहा कि यह कदम कंपनी की भविष्य के लिए तैयार संगठन बनने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जो प्रौद्योगिकी, एआई परिनियोजन, बाजार विस्तार और कार्यबल पुनर्गठन में निवेश पर केंद्रित है.कर्नाटक राज्य आईटी कर्मचारी संघ ने किया विरोधकर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (केआईटीयू) ने बड़े पैमाने पर छंटनी पर कड़ी आपत्ति जताई थी और अतिरिक्त श्रम आयुक्त जी मंजूनाथ के समक्ष टीसीएस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.एक बयान में संघ ने कहा कि उसने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है. साथ ही सेवा विवरणों की रिपोर्टिंग के संबंध में कर्नाटक सरकार की ओर से लगाई गई शर्तों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है.ये भी पढ़ें : पिछड़ा वर्ग विधेयक के लिए 72 घंटे की भूख हड़ताल करेंगी के. कविता, राज्य और केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर साधा निशाना