कौन थे हेमंत करकरे जिन्होंने की थी मालेगांव ब्लास्ट की जांच, 26/11 आतंकी हमले में हुए थे शहीद

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मालेगांव विस्फोट मामले में 17 साल बाद 31 जुलाई गुरुवार को फैसला आ गया. एनआईए की विशेष अदालत ने पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात अभियुक्तों को बरी कर दिया है. इस केस के जांच के लिए विशेष रूप से चर्चित रहे हेमंत करकरे ने अपनी ईमानदारी, निष्ठा और साहस के लिए ख्याति प्राप्त की थी. आइये इनके बारे में जानते हैं. कौन थे हेमंत करकरे?महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले (26/11) के दौरान आतंकवादियों का बहादुरी से सामना करते हुए शहीद हो गए थे. वह 2008 के मालेगांव हमले की जांच को जांच कर रहे थे, जिसमें छह लोग मारे गए थे जबकि 101 लोग घायल हुए थे. आईपीएस ऑफिसर करकरे मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. उन्होंने महाराष्ट्र के वर्धा से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की थी इसके बाद सन् 1975 में नागपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. 1982 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए. करकरे ने भारत की इंटेलीजेंस एजेंसी RAW के एजेंट के तौर पर ऑस्ट्रिया में सेवा दी. इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुफिया जानकारी जुटाने और विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जनवरी 2008 में करकरे को महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते का प्रमुख नियुक्त किया गया. इस भूमिका में उन्होंने आतंकवाद से संबंधित कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच की जिनमें मालेगांव बम विस्फोट सबसे चर्चित रहे. करकरे को 26 जनवरी, 2009 को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.क्या था मालेगांव केस?29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव के भिकू चौके इलाके में विस्फोट हुआ था. रमजान का महीने था और इस इलाके में अधिकतर आबादी मुस्लिमों की थी इस विस्फोट में एक फ्रीडम बाइक का इस्तेमाल किया गया था जो भीड़भाड़ वाले इलाके में खड़ी थी. विस्फोट में ये बाइक फट गई जिससे वहां मौजूद आसपास के लोग इसकी चपेट में आ गए. इस हमले में 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 100 लोग घायल हुए थे. दावा किया गया कि इस विस्फोट का मकस सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ना था. स्थानीय पुलिस के शुरुआती जांच के बाद ये मामला बाद में मुंबई एटीएस के पास भेज दिया गया. एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे थे और इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई जिसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम सबसे ऊपर था. क्योंकि जिस बाइक में ये विस्फोट हुआ उस बाइक का रजिस्ट्रेशन उनके नाम  पर था.   इसे भी पढ़ें- जानें उस शहर मालेगांव को जहां 17 साल पहले हुआ था ब्लास्ट, यहां रहते हैं कितने हिंदू-मुस्लिम