जेल से कैदी भाग जाए तो कितनी बढ़ जाती है सजा, क्या इसके लिए अलग से चलता है मुकदमा?

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जब भी कोई अपराध करता है तो कानून कड़ी सजा देता है और सजा के तौर पर कई बार जेल में भी बंद किया जाता है. कई अपराधी तो इस दौरान सुधरने की कोशिश करते हैं और कई ऐसे होते हैं कि वो कैद से ही भाग निकलते हैं. ऐसे अपराधियों को पुलिस पकड़ लेती है, तो क्या भागने के जुर्म में उन पर अलग से मुकदमा चलता है या फिर कुछ और कड़ी सजा मिलती है, चलिए इस बारे में जानते हैं.देश में भागने वाले कैदी के लिए सजाभारत में अगर कोई कैदी जेल से भाग जाता है तो उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 224 के तहत भागने का दोषी माना जाता है, इसके लिए उसे 2 साल की अतिरिक्त कैद या जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है. इसके अलावा उसको भागने में मदद करने वाले या फिर उसे छिपाने वाले को भी धारा 222 या 225 के तहत दंडित किया जाता है. जेल से भागने के बाद कैदी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है और वापस उसे जेल में भेज दिया जाता है. क्या अलग से भी केस चलता हैजेल से भागे हुए कैदी की सजा उसकी परिस्थितियों पर निर्भर करती है. यह अतिरिक्त सजा उसकी पिछली सजा में जोड़ी भी जा सकती है. इस दौरान कैदी को अपनी पिछली सजा भी पूरी करनी होती है और इसमें भागने का समय भी जोड़ा जाता है. कई बार भागने वाले कैदी को दूसरी जेल में भी ट्रांसफर कर दिया जाता है. इसके अलावा भागने के कारणों की जांच के लिए न्यायिक समिति का गठन किया जाता है. अगर किसी कैदी ने भागने के दौरान किसी तरह की धमकी दी है, तो उसके केस को अलग तरीके से देखा जाता है और उस हिसाब से सजा दी जाती है. जमानत मिलने की कम संभावनाजेल से भागे हुए कैदी को जमानत मिलने की संभावना कम ही रहती है, क्योंकि उसने सजा के बीच में  भागने जैसा अपराध किया होता है. अगर किसी कैदी ने भागने के दौरान चोरी, डकैती या हिंसा जैसे अपराध को अंजाम दिया है तो उसे उसके लिए भी दोषी ठहराया जाता है और उसकी सजा इसके अनुसार भी तय की जाती है. कुल मिलाकर जेल से भागना एक गंभीर अपराध होता है, जिसके परिणाम भी गंभीर हैं. यह भी पढ़ें: ये है दुनिया की सबसे मजबूत तलवार, धार इतनी कि गोली को भी बीच से देती है फाड़