विवादित डोकलाम इलाके में चीन की चालबाजियों का जवाब देने के लिए भारत की बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) ने भूटान के सामरिक शहर हा (यही नाम है--हा) के लिए एक ऑल वेदर हाईवे का निर्माण किया है. भूटान के वानखा से हा तक ये नेशनल हाईवे तैयार किया गया है. भूटान का हा शहर ही डोकलाम से सबसे करीब मिलिट्री बेस है. रॉयल भूटान आर्मी की सैन्य छावनी के साथ ही, यहां भारतीय सेना का इमट्राट (आईएमटीआरटी) मिलिट्री ट्रेनिंग सेंटर है. पिछले पांच दशक से प्रोजेक्ट दंडक के कहत बीआरओ, भूटान में सड़क, पुल और सुरंग बनाने का निर्माण करती है. शुक्रवार (1 अगस्त) को भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे, बीआरओ के डीजी रघु श्रीनिवासन की मौजूदगी में इस हाईवे का उद्घाटन करने जा रहे हैं.डोकलाम के करीब सड़कों के जालचीन ने डोकलाम के करीब चुंबी वैली में सड़कों के जाल के साथ ही मिलिट्री विलेज भी बना लिए हैं ताकि युद्ध की स्थिति में इन्हें सैनिकों के बैरक में तब्दील कर दिया जाए. विशेष रूप से अमो चू घाटी में. बता दें डोकलाम, भारत-चीन-भूटान की सीमा के पास स्थित एक रणनीतिक पठारी क्षेत्र है, जो 2017 में उस समय वैश्विक सुर्खियों में आया जब भारत और चीन की सेनाएं यहां 73 दिनों तक आमने-सामने थीं. भारत और भूटान दोनों इसे भूटान का हिस्सा मानते हैं. हालांकि, चीन इसे अपनी चुंबी वैली का विस्तार बताता है. यह विवाद सिर्फ सीमाओं का नहीं, बल्कि भविष्य में रणनीतिक संतुलन और क्षेत्रीय प्रभुत्व को लेकर है.डोकलाम और सिलीगुड़ी कॉरिडोरसिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ने वाली एक संकरी पट्टी है. यह लगभग 20-25 किलोमीटर चौड़ी है और यदि यह बाधित होती है तो भारत का संचार उत्तर-पूर्व से पूरी तरह कट सकता है. चीन ने अब सिर्फ सड़क ही नहीं बनाई, बल्कि नकली गांव (military-civilian dual-use villages) भी डोकलाम के पास बसाने शुरू कर दिए हैं. इन गांवों के पीछे की मंशा है इसे सामान्य दिखने वाले गांव आपातकाल में सैन्य बेस में तब्दील किए जा सके. ये गांव चीन की "ग्रे ज़ोन वॉरफेयर" रणनीति का हिस्सा हैं, जहां बिना युद्ध के सैन्य लाभ लिया जाता है.ये भी पढ़ें: Vice President Election: उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को होगा चुनाव, 21 अगस्त तक होगा नामांकन, कौन लेगा धनखड़ की जगह?