पहली बार कब और किसने किया था 'भगवा आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल, कैसे शुरू हुई थी इस पर राजनीति?

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साल 2008 में मुंबई के मालेगांव में हुए ब्लास्ट मामले में बीते दिन मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि इन लोगों पर जो आरोप लगाए गए हैं, उसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. मालेगांव ब्लास्ट भारत की सबसे चर्चित आतंकी घटनाओं में से एक है. आज से 17 साल पहले यह घटना महाराष्ट्र के नासिक जिले में हुई थी. इस घटना में विस्फोट के लिए एक फ्रीडम बाइक का इस्तेमाल किया था. इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस विस्फोट के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में था भगवा आतंकवाद शब्द. चलिए जानें कि सबसे पहले इस शब्द का किसने इस्तेमाल किया था और कैसे इस पर राजनीति शुरू हुई. पहली बार कब और किसने किया भगवा आतंकवाद का इस्तेमालमालेगांव विस्फोट के बाद एक नए शब्द का जन्म हुआ था, जिसे हिंदू आतंकवाद का नाम दिया गया था. पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल 2008 में गृहमंत्री पी चिदंबरम ने किया था. उनके बाद दिग्विजय सिंह ने भगवा आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था. भाजपा ने इस संबोधन पर कड़ी आपत्ति जताई थी. भाजपा का कहना था कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. इस ब्लास्ट को हिंदू आतंकवाद का नाम देना हिंदू धर्म और उसकी संस्कृति के खिलाफ है. इसके बाद इस शब्द को मालेगांव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस और अजमेर शरीफ धमाके से भी जोड़कर देखा जाता है.क्या है भगवा आतंकवाद?भगवा आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल उन हमलों और हिंसा को बताने के लिए किया जाता रहा है, जिसमें हिंदू राष्ट्रवादी संगठन से लोग जुड़े होते हैं. वैसे तो पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल 2002 में गुजरात दंगों के बाद इस्तेमाल किया गया था. विकीपीडिया की मानें तो भगवा आतंकवाद का सबसे पहला प्रयोग अंग्रेजी में सन् 2002 में फ्रंटलाइम नाम की अंग्रेजी पत्रिका के एक लेख में गुजरात दंगे को संबोधन करने के लिए हुआ था. लेकिन इस शब्द का ज्यादा इस्तेमाल 2008 के मुंबई के मालेगांव धमाके के बाद हुआ, क्योंकि जांच के सिलसिले में धमाके से संबद्धित कथित तौर पर एक हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया गया था.भगवा आतंकवाद पर विवादभगवा आतंकवाद शब्द कई राजनीतिक और सामाजिक समूहों के बीच चर्चा का विषय रहा है. कुछ लोगों का तर्क है इस शब्द के जरिए बदनाम करने की रणनीति है और कांग्रेस ने इसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोध के लिए किया है. कुछ का तो यह भी कहना है कि यह शब्द की भ्रामक है, क्योंकि भगवा सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि बौद्ध और अन्य धर्मों के द्वारा भी अपनाया गया है.यह भी पढ़ें: भारत या पाकिस्तान, किसके पास ज्यादा है अपना तेल? आज की कंडीशन में जानें हालात