अमेरिका के 25 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले का भारत पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अधिकांश भारतीय वस्तुएं पहले से ही अमेरिकी शुल्क छूट की श्रेणी में आती हैं. सरकार से जुड़े सूत्रों ने शुक्रवार (1 अगस्त 2025) को यह अनुमान जताया.छूट के दायरे में है भारत का बड़ा निर्यातइसके साथ ही भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी व्यापार समझौते में कृषि, डेयरी और आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) खाद्य उत्पादों पर कोई शुल्क रियायत नहीं देगा. सूत्रों के मुताबिक भारत के कुल निर्यात का बड़ा हिस्सा पहले ही अमेरिकी सरकार की तरफ से 'सेक्शन 232' के तहत दी जाने वाली छूट के दायरे में आता है. ऐसे में उन उत्पादों पर बढ़ा हुआ शुल्क लागू नहीं होगा.सूत्रों ने कहा, 'भारत से अमेरिका को होने वाले आधे से अधिक निर्यात इस शुल्क बढ़ोतरी से प्रभावित नहीं होंगे. नई टैरिफ नीति से लगभग 40 अरब डॉलर के निर्यात पर ही असर पड़ने की आशंका है.' वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर रहा था. इसमें भारत से निर्यात 86.5 अरब डॉलर जबकि अमेरिका से आयात 45.3 अरब डॉलर था.कृषि-डेयरी पर नहीं होगी कोई डील- सूत्रसूत्रों ने कहा, 'अमेरिका के डेयरी उद्योग में पशु चारे का इस्तेमाल होने की वजह से भारत के लिए उन पर शुल्क सब्सिडी दे पाना संभव नहीं होगा. डेयरी क्षेत्र में धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं. ऐसी स्थिति में अमेरिकी डेयरी उत्पाद स्वीकार्य नहीं किए जाएंगे. भारत ने अब तक किसी भी व्यापार समझौते में डेयरी उत्पादों पर शुल्क छूट नहीं दी है. इन संवेदनशील क्षेत्रों पर कोई समझौता नहीं होगा.'भारत और अमेरिका के बीच मार्च से द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है. अब तक पांच दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है और छठा दौर 25 अगस्त से शुरू होने वाला है. हालांकि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के पहले अंतरिम समझौता करने की कोशिश में थे, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पाई और अमेरिका ने 25 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है.ये भी पढ़ें : 'समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला पार्टनर है रूस', ट्रंप की भारत पर जुर्माने वाली धमकी पर बोला विदेश मंत्रालय