सक्सेस मंत्रा- क्या है सेल्फ डिसिप्लिन?:सचिन तेंदुलकर और रतन टाटा इसकी मिसाल, 8 सरल तरीकों से इसे अपने जीवन में उतारें

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कुछ लोग अपने लक्ष्य बहुत आसानी से हासिल कर लेते हैं, जबकि दूसरे संघर्ष करते रहते हैं। क्या उनके पास कोई खास शक्ति होती है? इसका जवाब हां है, लेकिन यह शक्ति जादू नहीं, बल्कि आत्मानुशासन है। आत्मानुशासन वह गुण है जो हमें अपने सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत देता है। यह हमें सही दिशा में ले जाता है और कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानने देता है। आज के ‘सक्सेस मंत्रा’ कॉलम में हम आत्मानुशासन यानी सेल्फ डिसिप्लिन की बात करेंगे। हम जानेंगे कि- आत्मानुशासन क्या है? आत्मानुशासन का मतलब है अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों पर नियंत्रण रखना। यह वह क्षमता है जो हमें तब भी सही काम करने के लिए प्रेरित करती है, जब हमारा मन कुछ और करने का लालच देता है। उदाहरण के लिए, सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करना या एक्सरसाइज करना आत्मानुशासन का एक रूप है। यह जादू नहीं है, बल्कि एक ऐसी आदत है जिसे हम धीरे-धीरे अभ्यास के जरिए विकसित कर सकते हैं। आत्मानुशासन का मतलब ही है कि अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना और अनावश्यक विचलन से बचना। यह हमें समय, ऊर्जा और संसाधनों का सही उपयोग करने में मदद करता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, सारी बात मन को अनुशासित करने की है। ऐसी ही मिलती-जुलती बात यूनानी दार्शनिक प्लेटो ने कही थी- सेल्फ-डिसिप्लिन क्यों जरूरी है? सेल्फ-डिसिप्लिन हमें अपने लक्ष्यों पर फोकस करने में मदद करता है, हमें मजबूत बनाता है और हमें मुश्किलों से लड़ने की ताकत देता है। चाहे आप एक खिलाड़ी हैं, बिजनेसमैन हैं या स्टूडेंट हैं। सेल्फ-डिसिप्लिन आपको हर क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करेगा। यह हमें कमजोरियों से लड़ने और अपनी ताकत को बढ़ाने का मौका देता है। आत्मानुशासन क्यों जरूरी है? अगर जिंदगी में कुछ पाना है, तो खुद को संभालना सीखना ही पड़ेगा। आत्मानुशासन यानी अपने मन, आदतों और समय पर काबू रखना। यही हमें मजबूत बनाता है और मंजिल तक पहुंचाता है। 1. लक्ष्य हासिल करने के लिए कई बार मन भटकता है, कभी फोन की वजह से, कभी आलस की वजह से। लेकिन आत्मानुशासन ही है जो हमें रोज अपने टारगेट की याद दिलाता है, चाहे पढ़ाई हो, करियर हो या कोई सपना। 2. आत्मसम्मान के लिए जब हम समय पर अपना काम खत्म करते हैं, सुबह जल्दी उठते हैं, अपनी गलत आदतों पर काबू पाते हैं तो एक सुकून मिलता है। इससे स्वयं के प्रति सम्मान का भाव पैदा होता है। 3. हेल्दी और पॉजिटिव लाइफ के लिए जिनका जीवन अनुशासित होता है, वे बेहतर खाते हैं, सोते हैं और फिट रहते हैं। उनके दिमाग में निगेटिव बातें नहीं आती हैं। इससे वे हर समय पॉजिटिव और एनर्जेटिक बने रहते हैं। 4. मुश्किलों का सामना करने के लिए जीवन में दिक्कतें सबके पास आती हैं, लेकिन आत्मानुशासन वाला इंसान हार नहीं मानता है। वो सोचता है, "ठीक है, रास्ता मिल जाएगा।" 5. मंजिल तक पहुंचने के लिए सिर्फ टैलेंट सबकुछ नहीं होता है, बल्कि रोज थोड़ी-थोड़ी मेहनत से ही बड़े लोग बनते हैं। वॉरेन बफेट ने कहा है कि- ऐसे हासिल करें सेल्फ-डिसिप्लिन प्रसिद्ध अमेरिकन लेखक जेम्स क्लीयर ने अपनी किताब में सेल्फ-डिसिप्लिन के 8 तरीके बताए हैं, जो बहुत प्रैक्टिकल और आसान हैं। ये तरीके ऐसे हैं कि कोई भी इन्हें अपनी जिंदगी में आजमा सकता है। सेल्फ रिव्यू करें: हर इंसान में कुछ अच्छाइयां और कमियां होती हैं। यह हो सकता है कि आप अच्छे लेखक हैं, लेकिन समय का मैनेजमेंट नहीं कर पाते हैं। पहले अपनी कमियों को पहचानें और उन पर काम करें। लालच न करें: अगर आप स्वयं में कुछ बदलाव चाहते हैं तो अपने आसपास से गलत चीजों को हटा दें। मान लीजिए आप डाइटिंग कर रहे हैं तो घर से जंक फूड हटा दें। अगर आप पढ़ाई पर ध्यान देना चाहते हैं तो अपने कमरे से टीवी या गेम्स हटा दें। गोल्स के लिए रोडमैप बनाएं: अपने सपनों को लिखें और उन्हें हासिल करने का रास्ता तैयार करें। मान लीजिए आप बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो पहले मार्केट रिसर्च करें, फिर फंडिंग का इंतजाम करें। उसके बाद ही शुरुआत करें। रोज प्रैक्टिस जरूरी है: सेल्फ-डिसिप्लिन एक ऐसी आदत है, जो रोज की मेहनत से आती है। अगर आप फिट रहना चाहते हैं, तो रोज 10 मिनट एक्सरसाइज करें। धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाएगी। इसके बाद आप एक्सरसाइज का टाइम बढ़ा सकते हैं। नई आदतें बनाएं: छोटे-छोटे स्टेप्स से शुरुआत करें, जैसे सुबह जल्दी उठना या रोज एक पेज किताब पढ़ना। ये छोटी आदतें बड़ी सफलता की नींव बनती हैं। असल में रोज पढ़ने से आप रोज अपना अपडेटेड वर्जन बन रहे होते हैं। एक ऐसा शख्स, जिसकी जानकारियों में हर दिन इजाफा हो रहा है। अपने ऊपर भरोसा रखें: यह न सोचें कि आपकी ताकत कम है। आपको हमेशा इस तरह सोचना चाहिए कि आप कुछ भी कर सकते हैं। जेम्स क्लीयर लिखते हैं कि अगर आप सोचते हैं कि आपकी विल पावर असीमित है तो आप ज्यादा हासिल कर सकते हैं। हमेशा बैकअप प्लान जरूर बनाएं: अगर आपकी प्लानिंग में कुछ गलत हो जाए, तो दूसरा रास्ता हरदम तैयार रखें। अगर आपका एक प्रोजेक्ट फेल हो जाए, तो उसके लिए पहले से ही दूसरा प्लान सोचकर रखें। मेंटॉर ढूंढें: कोई ऐसा व्यक्ति खोजें जो आपको सही रास्ता दिखाए। एक अच्छा मेंटॉर आपकी गलतियों से सीखने में मदद कर सकता है और आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा दे सकता है। असल जीवन में हैं कई उदाहरण आत्मानुशासन के कई प्रेरणादायक उदाहरण हमारे आसपास हैं। आइए ऐसे कुछ लोगों की कहानियां देखें- सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। उनकी सफलता का राज उनका आत्मानुशासन था। वे रोजाना सुबह जल्दी उठकर प्रैक्टिस करते थे, चाहे मौसम कैसा भी हो। उनकी नियमितता और समर्पण ने उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक बनाया। रतन टाटा टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने अपने आत्मानुशासन और नेतृत्व के दम पर कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। वे अपने काम के प्रति इतने समर्पित थे कि कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। मलाला युसुफजई पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई ने शिक्षा के लिए अपनी लड़ाई में आत्मानुशासन का परिचय दिया। कठिन परिस्थितियों और खतरों के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई और सामाजिक कार्यों को जारी रखा। उनकी दृढ़ता ने उन्हें नोबेल पुरस्कार दिलाया। कठिन परिस्थितियों में भी ऊर्जावान बनाता है आत्मानुशासन आत्मानुशासन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में, आत्मसम्मान बढ़ाने में और एक संतुष्ट जीवन जीने में मदद करता है। यह एक ऐसी शक्ति है जो हमें कठिन परिस्थितियों में भी ऊर्जावान बनाए रखती है। आज से ही छोटे-छोटे स्टेप्स लेकर आत्मानुशासन को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। एक स्पष्ट लक्ष्य बनाएं, अपनी डेली लाइफ को व्यवस्थित करें और विचलन से बचें। याद रखें कि आत्मानुशासन आपके सपनों और हकीकत के बीच की दूरी को कम करने वाला ब्रिज है। .......................... ये खबर भी पढ़ें सक्सेस मंत्रा- कल का काम आज, आज का काम अभी: सफलता का सबसे बड़ा मंत्र, प्रोक्रैस्टिनेशन से बचें, खुद को रोज 1% बेहतर कैसे बनाएं जीवन में सफलता पाने के लिए समय का सही उपयोग और मेहनत जरूरी है। लेकिन कई बार हम अपने जरूरी कामों को टालते रहते हैं, जिसे प्रोक्रैस्टिनेशन भी कहते हैं। यह आदत न केवल हमारा समय बर्बाद करती है, बल्कि हमारे आत्मविश्वास और अवसरों को भी कमजोर करती है। पूरी खबर पढ़िए...