आजकल अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स हमारे रोजमर्रा के खानपान का बड़ा हिस्सा बनते जा रहे हैं। आसानी से उपलब्ध, आकर्षक पैकेजिंग और लाजवाब स्वाद के चलते ये फूड्स बच्चों से लेकर बड़ों तक की पसंद बन चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये फूड्स हमारी सेहत के लिए एक स्लो पॉइजन हैं, जो धीरे-धीरे शरीर को भीतर से खोखला करते हैं। हाल ही में अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन (AJPM) में पब्लिश एक स्टडी में बताया गया है कि जो लोग ज्यादा मात्रा में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, उनके समय से पहले मौत (प्रीमेच्योर डेथ) का खतरा काफी बढ़ जाता है। स्टडी के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अपनी डाइट में सिर्फ 10% अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड बढ़ा देता है तो 75 साल से पहले उसकी मृत्यु का रिस्क लगभग 3% तक बढ़ जाता है। कुछ देशों में तो हालात इतने गंभीर हैं कि हर 7 में से एक प्रीमेच्योर डेथ के पीछे यही कारण होता है। अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में हर साल लाखों लोगों की मौतें सीधे तौर पर इन फूड्स से जुड़ी बीमारियों की वजह से हो रही हैं। हालांकि थोड़ी सी जागरूकता और खानपान की समझ से इस खतरनाक लत से बचा जा सकता है। तो चलिए, आज फिजिकल हेल्थ कॉलम में हम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड क्या है? अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड वे खाद्य पदार्थ होते हैं, जो इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग से तैयार किए जाते हैं। इनमें प्रिजर्वेटिव, इमल्सीफायर, आर्टिफिशियल फ्लेवर, कलर, एडेड शुगर, सेचुरेटेड फैट और नमक जैसी कई चीजें मिलाई जाती हैं। इनका उद्देश्य फूड को लंबे समय तक खराब होने से बचाना और उसे स्वाद व दिखने में अधिक आकर्षक बनाना होता है। आसान भाषा में कहें तो ये रेडी-टू-ईट फूड्स होते हैं, जिन्हें बार-बार गर्म करने या पकाने की जरूरत नहीं होती है। इनमें फ्रोजन फूड्स, शुगरी ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड मीट, इंस्टेंट नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, मोमोज, फ्रेंच फ्राईज, चिप्स, नमकीन, कुकीज, केक और मफिन जैसे प्रोडक्ट्स शामिल होते हैं, जो दिखने और खाने में तो लाजवाब होते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक हैं। प्रोसेस्ड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में अंतर प्रोसेस्ड फूड्स में खाद्य पदार्थ की मूल संरचना और न्यूट्रिशन काफी हद तक सुरक्षित रहते हैं। इनमें आमतौर पर सफाई, कटाई, उबालना, फ्रीज करना या सीमित मात्रा में एडिटिव्स का इस्तेमाल होता है। वहीं अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में मेकैनिकल प्रोसेसिंग की जाती है और इनमें आर्टिफिशियल इंग्रेडिएंट्स मिलाए जाते हैं, जिससे इनके न्यूट्रिएंट्स काफी हद तक प्रभावित हो जाते हैं। नीचे दिए ग्राफिक में दोनों के बीच अंतर को समझिए- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में कैलोरी की मात्रा होती है ज्यादा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में नेचुरल कंटेंट की मात्रा बहुत कम और आर्टिफिशियल इंग्रेडिएंट्स की मिलावट ज्यादा होती है। यही कारण है कि इन फूड्स में कैलोरी की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के मुताबिक, एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना लगभग 2,000 से 3,000 कैलोरी की जरूरत होती है। यह मात्रा व्यक्ति की उम्र, लिंग, फिजिकल एक्टिविटी और अन्य कारकों पर निर्भर करती है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि सिर्फ एक पीस प्रोसेस्ड फूड ही व्यक्ति की जरूरत का बड़ा हिस्सा पूरा कर सकता है। नीचे दिए गए ग्राफिक में कुछ पसंदीदा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और उनमें मौजूद कैलोरी की मात्रा दी गई है। इसे समझिए- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड सेहत के लिए खतरनाक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स ज्यादा खाने से मोटापा, हार्ट डिजीज, फैटी लिवर और डायबिटीज जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन (BHF) की रिपोर्ट के मुताबिक, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स के ज्यादा सेवन से हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की भी एक रिपोर्ट बताती है कि हर दिन अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाने से कार्डियोवस्कुलर डिजीज का रिस्क 5% बढ़ जाता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स से बचने के तरीके आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन बढ़ता जा रहा है। लेकिन थोड़ी सी समझदारी और प्लानिंग से हम इनसे बच सकते हैं और अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिए कुछ आसान लेकिन जरूरी आदतें अपनाएं। जैसेकि- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स से जुड़े कॉमन सवाल-जवाब सवाल- क्या थोड़ा-बहुत अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाना भी नुकसानदायक है? जवाब- कभी-कभार थोड़ी मात्रा में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाने से शायद तुरंत कोई बड़ा नुकसान न हो। लेकिन नियमित और ज्यादा मात्रा में इनका सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। कोशिश करें कि अपनी डाइट में इनकी मात्रा कम-से-कम रखें। सवाल- क्या अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स बच्चों के लिए ज्यादा नुकसानदायक होते हैं? जवाब- हां, बच्चों का मेटाबॉलिज्म तेजी से बढ़ता है और उन्हें संतुलित डाइट की जरूरत होती है। चिप्स, केक, कैंडीज, इंस्टेंट नूडल्स, शुगरी ड्रिंक्स जैसे फूड्स उनके फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकते हैं। सवाल- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स मोटापा क्यों बढ़ाते हैं? जवाब- डॉ. मृगांका बोहरा बताती हैं कि इनमें हाई कैलोरी, ज्यादा शुगर और ट्रांस फैट होते हैं, जो वजन तेजी से बढ़ा सकते हैं। साथ ही मेटाबॉलिक डिसऑर्डर का कारण बन सकते हैं। ………………… फिजिकल हेल्थ की ये खबर भी पढ़िए फिजिकल हेल्थ- मानसून में हाइड्रेशन से जुड़े मिथ: क्या बारिश में नहीं होता पसीना, क्या कम पानी पीना ठीक है, बता रहे हैं डॉक्टर मानसून में बारिश से तापमान कम हो जाता है, लेकिन शरीर की पानी की जरूरत कम नहीं होती है। नमी और ठंडक के बावजूद शरीर से पसीने और यूरिन के जरिए पानी जाता रहता है। इसलिए पानी पीते रहना जरूरी है। पूरी खबर पढ़िए...