वृंदावन स्थित ऐतिहासिक श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़े प्रबंधन विवाद की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी परिवार के वकीलों को फटकार लगाई. सुनवाई के दौरान गोस्वामी परिवार की ओर से पेश हुए वकीलों को सख्त लहजे में फटकार लगाते हुए तीन सदस्यीय बेंच ने साफ शब्दों मे चेतावनी दी कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाना बर्दाश्त नही किया जाएगा. तीन सदस्यीय बेंच में चीफ जस्टिस बीआर गवई, सतीश चंद्र शर्मा और के विनोद चन्द्रन शामिल हैं. इस मामले की सुनवाई करते हुए तीन सदस्यीय बेंच ने गोस्वामी पक्ष के वकीलों को चेतावनी देते हुए कहा कि एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और भविष्य में ऐसा होने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पहवा और के. नटराजन ने यह स्पष्ट किया कि गोस्वामी पक्ष पहले ही मामले को दूसरी पीठ में स्थानांतरित करने की कोशिश कर चुका है, जबकि मामला पहले से ही न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ में सूचीबद्ध था.अगर फिर बनी ऐसी स्थिति तो होगी अवमानना की कार्यवाही: अदालत जब गोस्वामी पक्ष की ओर से एक बार फिर उसी मुद्दे को उठाने का प्रयास किया गया, जिसे अदालत पहले ही खारिज कर चुकी थी तो पीठ ने स्पष्ट असहमति जताते हुए कहा कि एक ही विषय को बार-बार उठाना न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है. बेंच ने कहा कि इस तरह की दोहराव उचित नहीं है और इसे रोका जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आप ऐसा नही कर सकते हैं. बेंच ने यह भी चेतावनी दी कि यदि ऐसी स्थिति दोबारा हुई और जानबूझकर मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तो संबंधित वकील के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही पर विचार किया जा सकता है. बेंच ने वकील को दी चेतावनी अदालत की इस प्रतिक्रिया से गोस्वामी पक्ष के वकील कुछ असहज हुए. सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वह प्रक्रियात्मक दुरुपयोग या अदालती प्रक्रिया में हेरफेर को स्वीकार नहीं करेगा और यदि भविष्य में ऐसा कोई प्रयास हुआ तो गंभीर कार्रवाई की जाएगी. चीफ जस्टिस ने कपिल सिब्बल के जूनियर वकील शिवांश पांण्डया के खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया, लेकिन जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने बड़प्पन दिखाते हुए इस कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाया. क्या है मामला? दरअसल, यह मामला वृन्दावन के स्थित प्रसिद्ध बांके विहारी मंदिर से जुड़ा हुआ है. जहां गोस्वामी परिवार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के बीच अधिकार एवं प्रबंधन को लेकर वर्षां से विवाद चल रहा है. 27 जुलाई को गोस्वामियों ने मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मंदिर प्रबंधन के सरकारी अध्यादेश के खिलाफ याचिका दायर की थी. गौरतलब है कि इस समिति का गठन कुछ दिन पहले ही हुआ था.