सिर्फ किताबों में मिलती हैं भारत की ये नदियां, आखिरी वाली का तो नाम भी भूल चुके लोग

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भारत में नदियों का इतिहास काफी पुराना रहा है. यहां कई नदियां ऐसी हैं जिनके बारे में लोग प्राचीन ग्रंथों, पौराणिक कथाओं या ऐतिहासिक संदर्भों में सुनते हैं. भारत एक ऐसा देश है जहां कभी करीब 200 नदियां बहती थीं. यहां की मुख्य नदियाों में गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, गोदावरी नदियां है जो भारत के अधिकतर हिस्सों को कवर करती हैं. लेकिन कई ऐसी नदियां हैं जिन्हें अब प्रत्यक्ष रूप से देखना मुश्किल है. इसका कारण यह हो सकता है कि ये नदियां अब सूख चुकी हैं या भूमिगत हो गई हैं. चलिए आज कुछ ऐसी ही नदियों के बारे में हम आपको बताते हैं जिनका जिक्र किताबों में मिलता है लेकिन वर्तमान में या तो वो पूरी तरह सूख चुकी हैं या अस्तित्व में ही नहीं हैं.कौन है वो नदियां?सरस्वती नदीभारत जिसे नदियों की भूमि कहा जाता है आज अपनी कई ऐतिहासिक नदियों को खो चुका है. जिसमें से सरस्वती नदी सबसे प्रसिद्ध है. सरस्वती नदी का जिक्र ऋग्वेद और महाभारत में एक पवित्र और जीवनदायिनी नदी के रूप में मिलता है, अब पूरी तरह गायब हो चुकी है. सरस्वती नदी भारत की सबसे प्रसिद्ध पौराणिक नदियों में से एक है. इसे गंगा, यमुना के साथ त्रिवेणी संगम की तीसरी नदी माना जाता है, खासकर प्रयागराज में. पौराणिक मान्यताओं में इस नदी का बहुत महत्व है लेकिन अब यह नदी भूमिगत हो चुकी है और केवल इसका नाम ही बचा है.फल्गु नदीबिहार के गया में मौदूज फल्गु नदी पूज्यनीय नदी है. धार्मिक दृष्टि से इसका काफी महत्व है. फल्गु नदी पिंडदान के लिए काफी महत्व रखती है. मान्यता है कि फल्गु नदी के तट पर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को सबसे उत्तम गति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन इस नदी में कभी भी पानी नहीं रहता. मान्यता है कि यह नदी धरती के अंदर बहती है और लोगों को तर्पण करने के लिए बालू को हटाकर पानी निकालना पड़ता है. रामायण काल में इसका जिक्र मिलता है मान्यता है कि माता सीता ने इस नदी को श्राप दिया था जिसके चलते यह श्रापित है.दृषद्वती नदीदृषद्वती नदी का उल्लेख महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. इसे प्राचीन कुरुक्षेत्र क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नदी माना जाता था, जो सरस्वती के साथ बहती थी. दृषद्वती नदी अब पूरी तरह सूख चुकी है और केवल ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों में मौजूद है. इसका कोई भौतिक अवशेष नहीं मिलता.इसे भी पढ़ें- क्या राष्ट्रपति से अवॉर्ड लेते टाइम उनसे मिला सकते हैं हाथ, क्या होता है प्रोटोकॉल?