सवाल- मैं जमशेदपुर से हूं। मेरी बेटी 15 साल की है। वह शहर के जाने-माने कॉन्वेंट स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ती है। वह पढ़ने में काफी अच्छी है। हम मॉडर्न पेरेंट्स हैं। हमने उस पर कभी ये दबाव नहीं डाला कि लड़के से दोस्ती नहीं करनी है। लड़के घर पर नहीं आ सकते हैं तो उसके सभी दोस्त घर पर आते-जाते हैं। उसका एक दोस्त था, जो अक्सर घर आता था। अचानक से उसने कुछ दिन से आना बंद कर दिया। हमने उससे पूछा भी कि क्या हुआ, ‘अक्षय काफी दिनों से घर नहीं आया है’ तो उसने इस बात को टाल दिया। कुछ दिनों पहले उसने अपने दोस्तों के साथ दशम वाटरफॉल घूमने जाने का प्लान किया था। वहां अक्षय भी जा रहा था, लेकिन मेरी बेटी ने लास्ट मोमेंट पर ट्रिप कैंसिल कर दिया। उससे मुझे कुछ-कुछ समझ में आया कि शायद इन दोनों का झगड़ा हुआ है। एक दिन उसका लैपटॉप खुला रह गया था तो उसमें मैंने उसके कुछ चैट्स पढ़ लिए थे। इससे पता चला कि शायद उनका ब्रेकअप हो गया है। इसका मतलब कि वे रिलेशनशिप में थे। ये बात हमें नहीं पता थी। हमें लगता था कि वह सिर्फ दोस्त थे। मैं जानती हूं कि टीन एज में ये सब बहुत ही स्वाभाविक है। लेकिन मुझे डर है कि जो इमोशनल ट्रामा उसे फील हो रहा है, वह इससे कैसे उबर पाएगी। मैं एक मां के तौर पर डर, असहाय और गिल्ट महसूस कर रही हूं। मैं इस वक्त क्या करूं, प्लीज मेरी मदद करें। एक्सपर्ट: डॉ. अमिता श्रृंगी, साइकोलॉजिस्ट, फैमिली एंड चाइल्ड काउंसलर, जयपुर जवाब- आपकी चिंता एक संवेदशनशील और जागरूक मां की है। लेकिन अधिकांश भारतीय परिवारों के पेरेंट्स बहुत ही रूढ़िवादी होते हैं। इस वजह से बच्चे ऐसी बातों को घर में नहीं बताते हैं क्योंकि मम्मी-पापा को ये सुनकर कल्चरल शॉक लग जाता है कि ‘तुम अभी पढ़ने की उम्र में अफेयर कर रही हो?’ आप लोगों ने इस बात को सहज रूप से लिया है। ये अपने आप में एक फर्स्ट स्टेप है। इसका मतलब है कि यहां कंजर्वेटिव सोच वाला संकट नहीं है। लेकिन असली सवाल यह है कि आपकी बेटी ने कभी यह नहीं बताया कि अक्षय सिर्फ एक दोस्त नहीं, बल्कि उसका बॉयफ्रेंड था। यह एक संकेत है कि मॉडर्निटी और खुलेपन के बावजूद आपके और उसकी बीच वह इमोशनल फ्रेंडशिप नहीं बन सकी, जहां वह खुलकर, बिना डरे, बिना झिझके अपने मन की हर बात कह सके। इसी विश्वास और सुरक्षित स्पेस को विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। ये जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है अभी आपकी बेटी 10वीं में है, आगे चलकर 12वीं में जाएगी, ग्रेजुएशन करेगी। इस दौरान नए लोग मिलेंगे, नए अनुभव होंगे और इनमें रिलेशनशिप जैसी चीजें भी शामिल होंगी। ऐसे में ये सब उसकी उम्र और जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है, जिन्हें रोकना या पूरी तरह कंट्रोल करना न तो संभव है और न ही जरूरी है। तो अब सवाल यह है कि क्या हम उसे इन अनुभवों से पूरी तरह बचा सकते हैं? या हम उसके लिए कोई ‘ब्रेकअप-प्रूफ’ रिश्ता बना सकते हैं? जवाब है, नहीं। तो हमारा रोल उसे बचाने का नहीं, उसे मजबूत बनाने का होना चाहिए। हमें उसे वह समझ और भावनात्मक क्षमता देनी चाहिए, जिससे वह यह जान सके कि जीवन में तकलीफें तो आएंगी लेकिन हमें उन्हें सहजता और समझदारी से हैंडल करना है। उसके दर्द को समझें और सपोर्ट करें इस समय आपकी बेटी एक इमोशनल ब्रेकअप से गुजर रही है। यह वक्त उसे उपदेश देने या समझाने का नहीं, बल्कि उसके साथ बैठने, उसे सुनने और महसूस करने का है। उसे यह अहसास कराना बेहद जरूरी है कि उसका दर्द वाजिब है। उसे यह न कहें कि, ‘चल छोड़, कुछ नहीं हुआ‘, ‘भूल जा उसे‘ या ‘इस उम्र में ऐसे ही होता है‘। भले ही ये बातें सच्चाई लगें, लेकिन इस वक्त ये बातें उसे और ज्यादा अकेला महसूस करा सकती हैं। ऐसे में आप उससे यह कह सकती हैं कि, 'मैं जानती हूं कि तुम दुखी हो और तुम्हारी ये तकलीफ बिल्कुल जायज है। ब्रेकअप हुआ है तो दुख तो होगा ही। लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूं और हम मिलकर इसका सामना करेंगे।' बच्ची के साथ रखें दोस्ताना रिश्ता उसे यह समझाइए कि तकलीफ का होना परेशानी नहीं है। परेशानी तब बनती है, जब हम उस तकलीफ में इतने उलझ जाएं कि वह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने लगे। कुल मिलाकर इस समय आपका रोल सलाह देने वाले का नहीं, एक साथ देने वाले दोस्त का होना चाहिए। उसे अकेला बिल्कुल न छोड़ें आपकी बच्ची गुमसुम रहने लगी है, कमरे में बंद रहती है और किसी से बात नहीं कर रही है। ऐसी स्थिति में उसे अकेला न छोड़ें। आप हर समय उसके पास भी न रहें लेकिन उस पर नजर बनाए रखें। जरूरत पड़ने पर किसी काउंसलर की मदद लें अगर बच्ची लंबे समय से इस स्थिति से उबर नहीं पा रही है तो किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं। इसमें कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि ये समझदारी की निशानी है। ये गलतियां बिल्कुल न करें टीन एज में बच्चे जब ब्रेकअप से गुजर रहे होते हैं तो उनका दिल टूटने के साथ-साथ भरोसा भी डगमगाता है। ऐसे में माता-पिता की हर प्रतिक्रिया उनके हीलिंग प्रोसेस को या तो आसान बना सकती है या और मुश्किल। ऐसे में कुछ सामान्य गलतियों से बचना चाहिए। सेक्सुअल एजुकेशन पर भी घर में खुलकर करें बात रिलेशनशिप ही नहीं, बच्चे एक उम्र के बाद सेक्सुअली भी एक्टिव होंगे। लेकिन ऐसे मुद्दे पर बात करना हमारे समाज में टैबू माना जाता है। हालांकि चुप रहना या इसे नजरअंदाज करना बच्चे को गलत जानकारी या खतरनाक अनुभवों की तरफ धकेल सकता है। इसलिए जरूरी है कि पेरेंट्स खुद पहल करके इस विषय पर समझदारी से बातचीत करें। उसे सेक्स को लेकर सही और वैज्ञानिक तरीके से जानकारी दें। उसे इमोशनल और फिजिकल टच में अंतर बताएं। याद रखें अगर आप नहीं बताएंगे तो बच्चा गूगल या दोस्तों से सीखेगा और वहां से मिली जानकारी हमेशा सही नहीं होती है। अंत में यही कहूंगी कि आपकी बच्ची इस वक्त एक भावनात्मक तूफान से गुजर रही है। यही वो समय है, जब आपकी मौजूदगी, आपका साथ और आपका बिना शर्त प्यार उसे सबसे ज्यादा ताकत देगा। आप उसे इस दर्द से पूरी तरह बचा नहीं सकती हैं। लेकिन आप उसके लिए वह सहारा जरूर बन सकती हैं, जिससे वह टूटने की बजाय और मजबूत होकर उभरे। इसलिए उसे सुनिए, समझिए और एक दोस्त की तरह बस उसके साथ रहिए। .......................... ये खबर भी पढ़ें पेरेंटिंग- बेटे पर सोशल मीडिया का फितूर: लाइक-कमेंट न मिले तो होता उदास, कैसे समझाएं इस आभासी दुनिया के बाहर भी है जिंदगी यकीन मानिए, आज बहुत से पेरेंट्स इसी चुनौती से गुजर रहे हैं। सोशल मीडिया टीन एजर्स को ऐसा झूठा आईना दिखाता है, जिसमें वे खुद को दूसरों के लाइक्स और कमेंट्स के पैमाने पर आंकने लगते हैं। यह उनकी मेंटल हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदायक है। पूरी खबर पढ़िए...