'मध्यस्थता से विवादों को मुकदमेबाजी में बदलने से रोका जा सकता है, कोर्ट का बोझ भी कम होगा', बोले CJI बी आर गवई

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मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने गुरुवार (31 जुलाई, 2025) को कहा कि मध्यस्थता में न्याय तक बेहतर पहुंच बनाने की शक्ति है. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के जरिए विवादों को मुकदमेबाजी में बदलने से रोका जा सकता है और इसमें न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाने की शक्ति है.पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार मध्यस्थता पर छठे अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन समर स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम को सीजेआई बी आर गवई संबोधित कर रहे थे. चीफ जस्टिस ने कहा कि मध्यस्थता के उपयोग से कोर्ट में मामले कम पहुंचते हैं और इससे पारंपरिक अदालतों पर बोझ कम होता है.मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विवादों के समाधान के तरीके के रूप में मध्यस्थता का उपयोग करने का सुसंगत दृष्टिकोण मुकदमेबाजी को कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता न सिर्फ पेशेवर कौशल बल्कि जीवन कौशल भी है क्योंकि यह हमें धैर्यपूर्वक सुनने, प्रभावी तरीके से संवाद करने और मतभेदों को रचनात्मक रूप से सुलझाने की सीख देती है.मुख्य न्यायाधी बी आर गवई ने कहा कि भारतीय कानून और अदालतें लंबे समय से न्याय प्रदान करने के एक साधन के रूप में मध्यस्थता के महत्व को पहचानती रही हैं. ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि देश में मध्यस्थता को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बार मध्यस्थता में अहम भूमिका निभा सकता है.विकास सिंह ने कहा, 'अगर अधिक मामलों को मध्यस्थता के लिए नहीं लाया गया, तो लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जाएगी.' इस कार्यक्रम का आयोजन ‘एनआईवीएएआरएएन’ (भारतीय उच्चतम न्यायालय के मध्यस्थों) की ओर से 31 जुलाई से 11 अगस्त तक 12 दिनों के लिए किया जा रहा है.विधि और न्याय मंत्रालय के सरकारी आकड़ों के अनुसार निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सवा पांच करोड़ मामले देशभर में लंबित हैं, इनमें से साढ़े चार करोड़ यानी 85 फीसदी केस सिर्फ जिला अदलातों में हैं. इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट में 60 हजार और हाईकोर्ट्स में 58 लाख केस लंबित हैं. देशभर में लंबित आधे से ज्यादा मामलों में मुकदमेबाज सरकार ही है.