बचपन से हम सब पढ़ते आ रहे हैं कि हम सांस लेते समय ऑक्सीजन लेते हैं और सांस छोड़ते वक्त कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकालते हैं. कार्बन डाई ऑक्साइड आग बुझाने में भी मदद करती है. फिर ऐसा क्यों है कि जब हम जलती हुई आग पर फूंक मारते हैं तो वह और भड़क जाती है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं.क्यों होता है ऐसा?जब हम सांस छोड़ते हैं तो हमारी सांस में कार्बन डाई ऑक्साइड के साथ-साथ थोड़ी मात्रा में ऑक्सीजन भी होती है. लेकिन आग के भड़कने का असली कारण है फूंक मारने की प्रक्रिया यानी हवा का तेज बहाव. जब हम फूंक मारते हैं तो हम हवा को तेजी से आग की ओर धकेलते हैं. इस हवा में मौजूद ऑक्सीजन आग को और तेजी से जलने में मदद करती है. आपको बता दें कि आग को जलने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है ईंधन, गर्मी, और ऑक्सीजन. फूंक मारने से आग को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है, जिससे वह और तेजी से जलने लगती है.कार्बन डाइऑक्साइड का क्या होता है?अब आप सोच रहे होंगे कि सांस में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड का क्या होता है? क्या वह आग को बुझाने में मदद नहीं करता? तो इसका जवाब है कि सांस में CO₂ की मात्रा इतनी कम होती है कि वह आग को बुझाने में कोई खास प्रभाव नहीं डालता. आग बुझाने वाले यंत्रों में CO₂ का इस्तेमाल होता है, लेकिन वहां CO₂ को बहुत अधिक मात्रा में छोड़ा जाता है, जो आग के आसपास ऑक्सीजन को हटाकर उसे बुझा देता है. लेकिन हमारी सांस में CO₂ की मात्रा इतनी कम होती है कि वह इस प्रक्रिया में बेअसर रहती है. इसके बजाय, फूंक से आने वाली ऑक्सीजन आग को और भड़काने में मदद करती है. इसे भी पढ़ें- Black money तो आपने सुना होगा, लेकिन क्या होता है Red money और Pink money? जानें इनमें क्या अंतर