दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत 10 वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ गुरुग्राम की एडिशनल सेशन कोर्ट मे याचिका दायर की गई है। मामला मोटर वाहन अधिनियम से जुड़ा है, जिसमें दिल्ली सरकार पर वाहनों की जब्ती और स्क्रैपिंग के नाम पर लूट, डकैती, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र जैसे संगीन आरोप लगाए गए है। गुरुग्राम के सीनियर एडवोकेट मुकेश कुल्थिया की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले एक दशक से दिल्ली सरकार और विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) और अन्य संस्थाओं का झूठा हवाला देकर जनता की वैध और रजिस्टर्ड गाड़ियों को जबरन जब्त कर स्क्रैपिंग एजेंसियों को सौंप रही हैं। एडवोकेट ने इसे केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और इसके संशोधित नियमों (2019, 2021, 2022, 2023) का खुला उल्लंघन बताया है। उधर, इस याचिका पर एडिशनल सेशन कोर्ट ने संज्ञान लिया है। साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए सीजेएम कोर्ट से रिकॉर्ड तलब किए है। एडवोकेट ने दायर याचिका में क्या कहा, 4 पॉइंट में जानिए अधिवक्ता ने इस धाराओं में कार्रवाई की मांग कीअधिवक्ता ने आरोप लगाया कि वाहनों की जब्ती और स्क्रैपिंग की कार्रवाई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराओं का उल्लंघन करती है। उन्होंने बीएनएस धारा 303, 309 चोरी और डकैती, धारा 318(4) धोखाधड़ी, धारा 198, 199 लोक सेवक द्वारा कानून की अवहेलना और धारा 61(1)(2) आपराधिक षड्यंत्र, धारा 336(1) जालसाजी, बीएनएसएस धारा 33, 210 आपराधिक प्रक्रिया की वैधानिक संरचना के तहत कार्रवाई की मांग की है। जल्द सुनवाई होने की उम्मीदअधिवक्ता मुकेश कुल्थिया ने बताया कि गुरुग्राम की एडिशनल सेशन कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की उम्मीद है। यदि कोर्ट याचिकाकर्ता के हक में कोई फैसला करती है तो यह दिल्ली सरकार और संबंधित अधिकारियों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। यहां जानिए दिल्ली में पुराने वाहनों को लेकर क्या चल रहा... एनजीटी ने नवंबर 2014 में दिया था आदेशNGT ने 26 नवंबर, 2014 को एक आदेश दिया था। इस आदेश में कहा गया था कि 15 साल से पुराने वाहनों को सार्वजनिक जगहों पर खड़ा नहीं किया जा सकता। अगर ऐसे वाहन कहीं खड़े हुए मिलते हैं, तो पुलिस उन्हें उठाकर ले जाएगी। यह नियम सभी तरह की गाड़ियों पर लागू होता है फिर चाहे वे टूव्हीलर हों, चार पहिया या भारी वाहन हों। सुप्रीम कोर्ट ने भी 29 अक्टूबर 2018 के अपने आदेश में कहा था कि ऐसे एंड ऑफ लाइफ (ईओएल) वाहन NCR में नहीं चलेंगे। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने किया था आदेशइसी साल कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CQAM) ने एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए हर रोज बढ़ते पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि दिल्ली में 31 जुलाई, 2025 से 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को एक जुलाई 2025 से किसी भी पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा जो वाहन चालक इसका उल्लंघन करते पाए जाएंगे तो वाहन जब्त कर लिए जाएंगे। धरकपड़ के लिए सभी पेट्रोल पंपों पर विशेष ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) कैमरे लगाने की भी तैयारी थी। बैन पर नाराज हो गई थी जनता, उठाए थे कई सवालइस आदेश के आते ही दिल्ली के लोगों ने नाराजगी जताते हुए यही दलील दी थी कि यदि कोई गाड़ी फिट है प्रदूषण नहीं फैला रही है तो सिर्फ उम्र देखकर उसे क्यों बैन कर दिया जााए। बहुत से लोगों का कहना था कि उनकी गाड़ी 10-15 साल पुरानी हो गई है, लेकिन बहुत कम यूज कर पाएं हैं इसलिए गाड़ी एकदम फिट है और प्रदूषण नहीं फैल रहा है। 31 अक्टूबर तक स्थगित की कार्रवाईविरोध बढ़ने पर दिल्ली में एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) या ओवरएज वाहनों पर फ्यूल प्रतिबंध 1 नवंबर तक स्थगित कर दिया गया है। 22 दिन पहले वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था। पहले जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहनों को 1 जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाना था। अब इन्हें 31 अक्टूबर तक राहत दी गई है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 3 जुलाई को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था। ----------------- दिल्ली मोटर व्हीकल एक्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... पुराने वाहनों को 1 नवंबर से नहीं मिलेगा फ्यूल:दिल्ली सहित 5 शहरों में नियम लागू होगा; पहले 1 जुलाई से बैन लगना था दिल्ली में एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) या ओवरएज वाहनों पर फ्यूल प्रतिबंध 1 नवंबर तक स्थगित कर दिया गया है। वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। जो डीजल गाड़ियां 10 साल से पुरानी और पेट्रोल गाड़ियां 15 साल से पुरानी होती हैं उन्हें EOL वाहन कहा जाता है। पहले जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहनों को 1 जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाना था। अब इन्हें 31 अक्टूबर तक राहत दी गई है। (पूरी खबर पढ़ें)