मुंबई की एक विशेष अदालत ने सितंबर 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को गुरुवार (31 जुलाई 2025) को बरी कर दिया. मामले पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि ये फैसला है न्याय नहीं है. इसमें विस्फोट हुए हमले में इतने लोग मारे गए कई लोग घायल हुए. ये बीजेपी के लिए कभी विस्फोट था ही नहीं. वो साध्वी प्रज्ञा को माननीय बनाकर संसद में लेकर आ गए तो कुल मिलाकर ये फैसला न्याय नहीं है. वहां (महाराष्ट्र) में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. उनकी मंशा साफ है. वह जो चाहती थी वही हुआ है.सबूत के अभाव से जुड़े सवाल पर कहा कि बीजेपी जांच एजेंसी के काम पर आरोप लगा रही है. इस मामले में शहादत देने वाले हेमंत करकरे पर सवाल उठा रहे. महाराष्ट्र एटीएस के लोगों ने जो जान दी है उन पर बीजेपी सवालिया निशान लगा रही हो. मालेगांव विस्फोट का टाइमलाइनमहाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मोटरसाइकिल पर लगाए गए बम में विस्फोट हो गया. छह लोग मारे गए और 101 घायल हुए. मालेगांव के आज़ाद नगर पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई. 21 अक्टूबर 2008: महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली.एटीएस ने मामले में 23 अक्टूबर 2008 को हली गिरफ़्तारी की. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और तीन अन्य को गिरफ़्तार किया गया. एटीएस ने दावा किया कि विस्फोट दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने किया था. नवंबर 2008 को लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को विस्फोट की साजिश में कथित संलिप्तता के आरोप में एटीएस ने गिरफ्तार किया. इसके बाद 20 जनवरी 2009 एटीएस ने प्रज्ञा ठाकुर और पुरोहित सहित 11 गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया.ये भी पढ़ें: मालेगांव ब्लास्ट: वो तर्क, जिन्हें गिनाकर NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सातों आरोपियों को कर दिया बरी