ऑपरेशन सिंदूर से लेकर महादेव तक... मिलिट्री ऑपरेशन को कौन देता है इतने यूनीक नाम, क्या होता है प्रॉसेस?

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श्रीनगर के लिडास इलाके में सोमवार को सुरक्षाबलों ने एक बड़ी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है. आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने 'ऑपरेशन महादेव' चलाया और तीन आतंकियों को मार गिराया. मारे गए तीनों आतंकियों का पहलगाम हमले से कनेक्शन बताया जा रहा है. 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद 'ऑपरेशन महादेव' का नाम सुनते ही मन में एक सवाल आता है कि आखिर सैन्य अभियानों को इतना यूनीक नाम कैसे मिलता है. कब मिलता है नामऑपरेशन विजय, ऑपरेशन  मेघदूत, ऑपरेशन बंदर, ऑपरेशन सिंदूर से लेकर अब ऑपरेशन महादेव. ये वो सैन्य अभियान हैं जिनका नाम सुनते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. जब-जब कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई हुई तब-तब कुछ ऐसे ही यूनीक नाम उन सैन्य अभियानों को दिया गया लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि भारतीय सेना के इन सैन्य अभियानों को इतने यूनीक नाम देता कौन है और इन नामों को तय करने की प्रक्रिया क्या है?.कैसे मिलता है नामजैसे कोई भी बड़ा काम करने से पहले हमसब एक रणनीति बनाते हैं उसी भारतीय सेना भी किसी सैन्य कार्रवाई से पहले एक रणनीति तैयार करती है. ऑपरेशन कहां होगा, कौन-कौन निशाना बनेगा, कैसे होगा? उसी आधार पर सरकार उस मिशन को नाम देती है. ऑपरेशन का नाम अभियान के उद्देश्य को दर्शाना होता है. ऑपरेशन के नाम से दुश्मन के दिमाग से खेला जाता है. किसी एरिया के हिसाब से भी नाम तय होता है. सैन्य कार्रवाई की रणनीति पूरी तरह गोपनीय होती है. ऑपरेशन सिंदूर में क्योंकि आतंकियों ने महिलाओं का सिंदूर उजाड़ दिया था इसिलिए इसका नाम ऑपरेशन सिंदूर पड़ा जिससे देश और दुश्मनों को इस ऑपरेशन का मतलब पता चल सके. पीएम मोदी ने खुद इस नाम का चयन किया था. इसी तरह बालाकोट में घुसकर एयर इस्ट्राइक की गई थी जिसका कोड नेम ऑपरेशन बंदर रखा गया जिस तरह हनुमान जी ने लंका में घुसकर लंकादहन किया उसी तरह सेना ने भी पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को तहसनहस कर दिया. इसे भी पढ़ें- क्या पाकिस्तान की तरह भारत किसी को भी दे सकता है अपना सर्वोच्च मिलिट्री सम्मान? इसको लेकर क्या हैं नियम