कितने महंगे बिकते हैं टाइगर की खाल-दांत और नाखून-हड्डियां, क्यों होती है इनकी कालाबाजारी?

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शेर को जंगल का राजा माना जाता है तो टाइगर भी उससे कम नहीं है, लेकिन टाइगर जंगल में कम और काला बाजारियों के हाथों ज्यादा नजर आ रहे हैं. इंटरनेशनल लेवल पर टाइगर की खाल, हड्डी, दांत, नाखून और यहां तक की आंखें भी ऊंचे दामों पर बेची जाती है. भारत सहित एशियाई देशों में टाइगर बॉडी पार्ट्स की तस्करी तेजी से बढ़ रही है. भारत में भी कई बार कस्टम अधिकारी टाइगर की खाल, दांत और नाखून जप्त करते हैं, जिनकी कीमत इंटरनेशनल स्तर पर काफी बताई जाती है.ब्लैक मार्केट में बाघ की हड्डियों की कीमत और मांगपारंपरिक चीनी दवाओं में बाघ की हड्डियों, दांतों का उपयोग वर्षों से किया जा रहा है. माना जाता है कि टाइगर की हड्डियों का पाउडर अल्सर, गठिया, सिर दर्द, लकवा और कमर दर्द जैसी बीमारियों का इलाज कर सकता है. यही कारण है कि टाइगर की एक हड्डी की कीमत लगभग 1450 डॉलर यानी लगभग 1.2 लाख रुपये तक पहुंच जाती है. पूरी टाइगर्स स्केलेटन की इंटरनेशनल बाजार में कीमत लगभग 50,000 डॉलर यानी 40 लाख रुपए से ज्यादा तक हो सकती है. यह डिमांड ही है जो आज टाइगर के अस्तित्व को संकट में डाल रही है. काला बाजारी का नेटवर्क और तस्करी के रूटटाइगर की तस्करी केवल शौक या परंपराओं तक सीमित नहीं है. यह एक संगठित अपराध नेटवर्क का हिस्सा बन चुका है. भारत, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों में शिकार किए गए टाइगर को नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस और वियतनाम के रास्ते चीन और वियतनाम जैसे देशों में भेजा जाता है. इन देशों में टाइगर को पूरे शरीर या अलग-अलग अंगों में काटकर छोटी-छोटी खेपों में भेजा जाता है ताकि जांच से बचा जा सके. कई बार टाइगर के अंगों से टाइगर बोन वाइन, दवाइयां और अन्य उत्पाद भी बनाए जाते हैं. कैसे होता है शिकार और फार्मिंगटाइगर के अवैध शिकार के लिए अक्सर जंगलों में फंदे लगाए जाते हैं, जिनमें बाग या अन्य जीव फंस जाते हैं और धीमी मौत मरते हैं. इसके अलावा टाइगर फार्म्स भी तस्करी का बड़ा स्रोत बन गए हैं. चीन, लाओस, थाईलैंड और वियतनाम में करीब 8,900 टाइगर 300 से ज्यादा फार्म्स में बंद है. जिनमें से कई सार्वजनिक चिड़ियाघर या निजी रेजिडेंस भी हो सकते हैं. वहीं अमेरिका और यूरोपीय देशों में भी प्रॉपर निगरानी के अभाव में ऐसे कैद टाइगर अवैध तस्करी के जाल में फंस जाते हैं. क्यों नहीं रुक रही है तस्करीभारत जैसे देशों में इस की तरह से तस्करी पर रोक लगाने के लिए कई कानून और निगरानी तंत्र पर जोर दिया जा रहा है. इसके बावजूद इंटरनेशनल बाजार में भारी मांग और दाम तस्करों को बार-बार इस धंधे में खींच लाते हैं. साल 2000 से 2022 के बीच 50 से ज्यादा देशों में 3,000  से ज्यादा टाइगर जब्त किए गए हैं, लेकिन ये केवल कुछ आंकड़े ही हैं, असल तस्करी उससे कहीं ज्यादा है. क्या हो सकता है समाधानइस अवैध कारोबार को रोकने के लिए जरूरी है कि आम नागरिक जागरूक हो और ऐसे उत्पादों को ना कहे जो टाइगर या किसी अन्य वन्य जीव के अंगों से बने हो. इसके साथ ही वन्यजीव अपराध की रिपोर्टिंग और कानूनों का सख्ती से पालन ही इस खतरनाक तंत्र को तोड़ सकता है. माना जाता है कि जानवरों की तरह से तस्करी को लेकर अगर कोई सख्त कानून नहीं बनाया गया तो आने वाली पीढ़ी के लिए टाइगर सिर्फ किताबों में ही रह जाएंगे.ये भी पढ़ें- टाइगर की हड्डियों से वाइन बनाता है यह देश, फायदे जान लेंगे तो कहेंगे- ये दिल मांगे मोर