क्या बिना नोटिस वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है मतदाता का नाम, जानिए इसको लेकर क्या है चुनाव आयोग का नियम

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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक बेहद आम प्रक्रिया इन दिनों देखने को मिल रही है. चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की प्रक्रिया कर रहा है, जिसे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision यानि कि SIR) कहा जाता है. इसको लेकर काफी विरोध और हंगामा भी देखने को मिल रहा है. बीते सप्ताह विधानसभा सत्र के अंदर भी विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया था.दरअसल चुनाव आयोग बिहार में मतदाता सूची में संशोधन करके प्रदेश में वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने की कोशिश कर रहा है. इसका एक उद्देश्य चुनाव को पारदर्शी बनाना और फर्जी वोटरों की पहचान करना भी है. लेकिन क्या इसके जरिए चुनाव आयोग बना नोटिस के किसी का भी नाम मतदाता लिस्ट से काट सकता है? चलिए जानें कि इसके लिए क्या नियम हैं.क्या बिना नोटिस वोटर लिस्ट से कट सकता है नाम? हाल ही में रविवार को चुनाव आयोग ने कहा है कि बिना नोटिस दिए मतदाताओं के नाम सूची से नहीं हटेंगे. प्रारूप मतदाता लिस्ट से नाम हटाने के पहले निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ईआरओ) या सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (एईआरओ) को सूचना और नोटिस देना होगा. दरअसल विपक्ष ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया था कि इससे मतदाताओं के नाम कट जाएंगे, जिसको लेकर चुनाव आयोग ने सफाई दी है. चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को विस्तार से बताया है. क्या है ‘स्पीकिंग ऑर्डर’ जिसके बिना नहीं कट सकता मतदाता का नामचुनाव आयोग का कहना है कि बिना स्पीकिंग ऑर्डर के किसी भी मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से नहीं काटा जा सकता है. स्पीकिंग ऑर्डर एक सेल्फ एक्सप्लॉनेट्री आदेश है, जो कि खास परिणाम पर पहुंचने के कारण की व्याख्या करता है और उसका विवरण देता है. SIR के दिशा-निर्देशों के अनुसार 1 अगस्त को आने वाली मसौदा सूची से किसी का भी नाम बिना नोटिस और निर्वाचन अधिकारी-सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी के आदेश के बिना नहीं काटा जा सकता है.क्या पहले बिना नोटिस के कट जाता था नामविपक्ष ने मतदाताओं के नाम लिस्ट से कटने की बात इसलिए कही है, क्योंकि पहले बीएलओ मनमाने तरीके से लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट देते थे और इस वजह से कई बार गड़बड़ियों की शिकायत भी सामने आई है. लोगों के नाम काटने की वजह से चुनाव के ऐन वक्त पर प्रशासन को विरोध की समस्या झेलनी पड़ती थी. इसीलिए चुनाव आयोग ने नोटिस दिए जाने का नियम बनाया था.यह भी पढ़ें: ये है दुनिया की 5 सबसे महंगी चाय, इतने में आप खरीद सकते है लग्जरी गाड़ी और बंगला