रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार (28 जुलाई, 2025) को ऑपरेशन सिंदूर को तीनों सेनाओं के समन्वय का बेमिसाल उदाहरण बताते हुए कहा कि यह कहना 'गलत और निराधार' है कि इस अभियान को किसी दबाव में आकर रोका गया था. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यदि उसकी कुछ गलतफहमी बची रह गयी है तो उसे भी दूर कर दिया जाएगा. सिंह ने लोकसभा में पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के मजबूत, सफल और निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए यह भी कहा कि पाकिस्तान की तरफ से सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) के स्तर पर संपर्क कर आग्रह किया गया था कि अब कार्रवाई रोक दी जाए.ऑपरेशन की सफलता पर विपक्ष करे बातउन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि उसे यह सवाल पूछने के बजाय कि इस अभियान में भारत के कितने विमान गिरे, ऑपरेशन की सफलता पर बात करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा, 'भारत ने कार्रवाई इसलिए रोकी, क्योंकि मिशन से पहले जो उद्देश्य तय किए गए थे, उन्हें पूरी तरह हासिल कर लिया गया. किसी दबाव में ऑपरेशन सिंदूर रोकने का आरोप बेबुनियाद है.'सिंह ने कहा, 'मैं सदन को यह भी बताना चाहूंगा कि किसी क्षेत्र पर कब्जा करना इस ऑपरेशन का मकसद नहीं था. इसका उद्देश्य पाकिस्तान की ओर से सालों से पाले गए आतंकवाद की नर्सरी का अंत करना था. उन लोगों को न्याय दिलाना था, जिन्होंने पाक प्रायोजित पहलगाम हमले में अपने प्रियजनों को खो दिया.'ऑपरेशन सिंदूर अभी जारीरक्षा मंत्री ने कहा कि 10 मई की सुबह जब भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के कई एयरफील्ड पर करारा हमला किया तो पाकिस्तान ने हार मान ली और संघर्ष रोकने की पेशकश की. इस पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सवाल उठाते हुए सुना गया कि संघर्ष क्यों रोका गया. सिंह ने कहा, 'यह पेशकश इस शर्त के साथ स्वीकार की गई कि यह अभियान सिर्फ रोका जा रहा है और अगर भविष्य में कोई दुस्साहस हुआ तो अभियान फिर प्रारंभ होगा.'सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर रुका है, समाप्त नहीं हुआ है और पाकिस्तान फिर नापाक हरकत करता है तो और कठोर कार्रवाई होगी. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, 'विपक्ष के लोग पूछते हैं कि कितने विमान गिरे. मुझे लगता है कि यह प्रश्न राष्ट्रीय भावनाओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता.'ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादी ढेररक्षा मंत्री ने कहा कि विपक्ष को अभियान की सफलता पर, दुश्मन सेना को हुए नुकसान पर और आतंकी ढांचों को हुए नुकसान पर सवाल पूछना चाहिए था. आपको प्रश्न पूछना है तो यह पूछिए कि क्या जांबाज सैनिकों को कोई क्षति हुई है तो उत्तर है ‘नहीं’. ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए और यह संख्या अधिक भी हो सकती है. सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि हम आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने का संकल्प ले चुके हैं. पहलगाम आतंकी हमले के बाद 6-7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया, जो केवल 22 मिनट चला और इसमें देश के सशस्त्र बलों ने 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक निशाना साधकर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया. पाकिस्तान की ओर से किए गए सारे हमले नाकामसिंह ने कहा, 'पहलगाम हमले के बाद हमारे पास जवाब देने के लिए कई विकल्प थे, लेकिन उसे चुना जिसमें आतंकियों और उनके ठिकानों को अधिकतम नुकसान पहुंचे और पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई क्षति नहीं पहुंचे. सशस्त्र बलों ने माताओं और बहनों के सिंदूर का बदला लिया. सेनाओं ने अंधेरी रात होने के बाद हमले की सफलता के स्पष्ट प्रमाण जुटाए हैं.'उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से किए गए हमलों और उन्हें सफलतापूर्वक नाकाम करने की भारतीय बलों की कार्रवाई का भी विस्तृत उल्लेख किया. राजनाथ सिंह ने कहा, 'पाकिस्तान हमारे किसी अड्डे को छू नहीं पाया और किसी महत्वपूर्ण संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा. हमारी सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद थी. पाकिस्तान के इस हमले के जवाब में हमारी कार्रवाई साहसिक और ठोस थी.आतंकवाद और वार्ता साथ में नहीं रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैनिकों का मनोबल बुलंदी पर है, उनका संकल्प अडिग है. वे सीमाओं के साथ ही राष्ट्रीय स्वाभमिान की रक्षा कर रहे हैं. भारत हमेशा से पड़ोसी देशों से मित्रता चाहता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और सरकार का रुख स्पष्ट है कि आतंकवाद और वार्ता साथ में नहीं चल सकते, क्योंकि सभ्य मुल्कों के बीच बातचीत होती है. लोकतांत्रिक देशों में बातचीत होती है, लेकिन जिसके वजूद में आतंकवाद, भारत के खिलाफ नफरत हो, उसके साथ संवाद नहीं किया जा सकता.'उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने अपनी विदेश नीति और राजकीय नीति का हथियार आतंकवाद को बना लिया है. पाकिस्तान की सेना और आईएसआई छद्म युद्ध के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाला नया भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी हद तक जा सकता है. हमने कभी किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं किया. भगवान राम और कृष्ण से प्रेरित भारतसिंह ने कहा, 'हम यह भी जानते हैं कि युद्ध बराबरी वाले से करना चाहिए. शेर अगर मेढ़कों को मारे तो बहुत अच्छा संदेश नहीं जाता. हमारे देश की सेना शेर है. रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का पाकिस्तान विरोध उनकी आतंकवाद की नीति के कारण है. हम शांति के लिए हाथ बढ़ाना जानते हैं तो अशांति पैदा करने वाले का हाथ उखाड़ना भी जानते हैं. हमने श्रीकृष्ण से सीखा है कि शिशुपाल की 100 गलतियों को माफ करने के बाद अंत में धर्म की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र उठाना पड़ता है.'उन्होंने कहा, 'अब बहुत हुआ, अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है. हमारी प्रगति भगवान राम और कृष्ण से प्रेरित है. जो शौर्य भी सिखाती है और धैर्य भी. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हम इस सीख का विदेश और रक्षा नीति में सीधा प्रयोग कर रहे हैं. अगर पाकिस्तान लाहौर बस यात्रा की शांति की भाषा नहीं समझता तो हम बालाकोट एयर स्ट्राइक की तरह जवाब देंगे. रक्षा क्षेत्र में आज भारत आत्मनिर्भर उन्होंने कहा, 'हमारे लिए शांति प्राथमिकता है और शक्ति उसका आधार है. यह सामर्थ्य पहले भी था, लेकिन पिछले 11 सालों में कई गुना बढ़ गया है. रक्षा क्षेत्र में आज का भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद कोई पागलपन नहीं, बल्कि सुनियोजित षडयंत्र का हिस्सा है, जिसमें आतंकवाद को राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल किया जाता है.'उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान की बहुत बड़ी गलतफहमी दूर कर दी है, थोड़ी बहुत बची होगी तो आगे दूर कर देंगे. हमने नई लक्ष्मण रेखा खींच दी है. अब आतंकवाद को समर्थन देने वालों को कोई शरण नहीं मिलेगी. भारत अब किसी तरह की परमाणु ब्लैकमेलिंग या अन्य किसी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं.'संयुक्त घोषणापत्र में पहलगाम हमले का जिक्र सिंह ने आगे कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की जो नीति इस सरकार ने अपनाई है, उसे पहले की सरकारों को भी अपनाना चाहिए था. हमारे प्रधानमंत्री ने करिश्मा किया है और ब्रिक्स में चीन की मौजूदगी में संयुक्त घोषणापत्र में पहलगाम हमले का जिक्र आया और उसकी निंदा की गई. पहली बार ऐसा हुआ, जब संयुक्त घोषणापत्र में कश्मीर की किसी घटना की कड़ी निंदा की गई. उन्होंने कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले के समय शायद उस समय की सरकार ने आवश्यक कार्रवाई नहीं की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा भी नहीं हो सकी, लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद हालात बदलने शुरू हुए. मैं सदन और देश की जनता को विश्वास दिलाना चहता हूं कि सरकार, सेना और संवैधानिक संस्थाएं देश की रक्षा, अखंडता के लिए जो कदम जरूरी होंगे, उठाएगी.