पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देशभर में बांग्ला भाषी प्रवासियों पर कथित हमलों के विरोध में सोमवार (28 जुलाई, 2025) को बीरभूम जिले के बोलपुर से 'भाषा आंदोलन' की शुरुआत की और कहा, 'मैं जान दे दूंगी, लेकिन किसी को अपनी भाषा छीनने की इजाजत नहीं दूंगी.' ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि जब वह अरब देशों की यात्रा पर जाते हैं तो क्या शेख से यह पूछकर गले मिलते हैं कि वे हिंदू हैं या मुसलमान.मुख्यमंत्री ने बोलपुर में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह भाषा के आधार पर विभाजन नहीं चाहतीं. उन्होंने कहा, 'मैं किसी भाषा के खिलाफ नहीं हूं, मेरा मानना है कि विविधता में एकता हमारे राष्ट्र की नींव है. आप सब कुछ भूल सकते हैं, लेकिन आपको अपनी अस्मिता, मातृभाषा और मातृभूमि को नहीं भूलना चाहिए.बंगालियों पर हो रहा अत्याचार सीएम ममता बनर्जी ने दावा किया कि बांग्ला दुनिया में पांचवीं और एशिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, फिर भी बंगालियों पर अत्याचार हो रहा है. उन्होंने सवाल किया कि अगर हम बंगाल में 1.5 करोड़ प्रवासी श्रमिकों को आश्रय दे सकते हैं तो आप अन्य राज्यों में काम करने वाले 22 लाख बंगाली प्रवासियों को क्यों नहीं स्वीकार कर सकते.मुख्यमंत्री ने पड़ोसी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का परोक्ष संदर्भ देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के इशारे पर निर्वाचन आयोग पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने का प्रयास कर रहा है. पश्चिम बंगाल में नहीं होगा एनआरसी लागूममता ने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल में न तो एनआरसी लागू होने देंगी और न ही कोई निरुद्ध केंद्र स्थापित करने देंगी. उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या आपने मालदीव के राष्ट्रपति से गले मिलते समय उनसे उनका धर्म पूछा था. केंद्र ने बंगाल को उसका बकाया नहीं दिया, जबकि पड़ोसी देश को 5,000 करोड़ रुपये दान दे दिए.ये भी पढ़ें:- 'पाकिस्तान से युद्ध का मकसद क्यों नहीं था... PoK आज नहीं लेंगे तो कब लेंगे?' गौरव गोगोई ने संसद में सरकार से पूछा