देश में कहां मिलते हैं सबसे सस्ते आर्टिफिशियल अंग, खरीदते वक्त किन बातों का रखें ध्यान?

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अगर किसी दुर्घटना में कोई अपना अंग गंवा देता है या फिर किसी बीमारी की वजह से अपना कोई शरीर का अंग गंवा देता है तो आज की तारीख में उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है. अब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि ऐसी परिस्थितियों में लोगों को कृत्रिम अंग भी मिल जाते हैं और वे उसके सहारे अपनी जिंदगी काट सकते हैं. लेकिन कुछ गरीब या फिर खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, जिनके पास पैसे का आभाव होता है, वे इनको नहीं खरीद सकते हैं. लेकिन देश में एक ऐसी भी जगह है, जहां से सस्ते आर्टिफिशियल अंग खरीदे जा सकते हैं. कहां मिलते हैं सस्ते आर्टिफिशियल अंगभारत में सबसे कम दाम या सस्ते आर्टिफिशियल अंगों की बात करें तो ये भगवान महावीर विकल सहायता समिति (बीएमवीएसएस) (जयपुर फुट) और नारायण सेवा संस्थान जैसे गैर सरकारी संगठनों द्वारा प्रदान किए जाते हैं. ये संगठन आमतौर पर मुफ्त या फिर कम लागत में दिए जाते हैं. ये खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए सुविधा उपलब्ध है. इसके अलावा एलिम्को (भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम) एक सरकारी संगठन है, जो कि कम लागत में कृत्रिम अंग उपलब्ध कराता है. ये खासतौर से कृत्रिम पैर देते हैं.कृत्रिम अंग खरीदते वक्त किन बातों का रखें ध्यानकृत्रिम अंग सिर्फ सस्ते में खरीदना ही नहीं, बल्कि उसे खरीदते समय और भी कई चीजों पर ध्यान दिया जाता है. कृत्रिम अंग लेने से पहले यह जानने की जरूरत है कि आपको ऊपरी शरीर के लिए अंग चाहिए या फिर निचले शरीर के लिए. बाजार में कई तरीके के कृत्रिम अंग जैसे कि ट्रांसरेडियल, ट्रांसह्यूमरल, ट्रांसटिबियल और ट्रांसफेमोरल मिलते हैं. इनके अपने अलग-अलग काम और खासियत होती है. इसके अलावा यह भी ध्यान देने की जरूरत होती है कि कृत्रिम अंगों को बनाने के लिए किस सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, जैसे कि ये एल्यूमीनियम, टाइटेनियम, स्टेनलेस स्टील, और सिलिकॉन किस चीज के बनाए गए हैं. कैसा हो रखरखावआर्टिफिशिल अंग खरीदने से पहले यह भी देखना जरूरी है कि ये आपके शरीर में अच्छी तरह से फिट हो रहे हैं या नहीं और ये आरामदायक हैं कि नहीं. कृत्रिम अंगों की लागत के अलावा बीमा पॉलिसी की जांच करना भी जरूरी होता है, कि वह कृत्रिम अंगो को कवर करेगी भी या नहीं. अगर हां तो कवरेज की क्या लिमिट है. इसके अलावा इनको बहुत सावधानी पूर्वक रखना भी होता है, जिससे कि ये खराब न हों. अगर संभव हो सके तो टिकाऊ और इको-फ्रेंडली कृत्रिम अंगो का चयन किया जाना चाहिए.  यह भी पढ़ें: जानें भारत में 5 साल से कम उम्र के कितने बच्चे कुपोषण का शिकार, आंकड़ें देख डर जाएंगे आप