अब केले के छिलके और प्लास्टिक कचरे को फेंकने की बजाय ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) भोपाल के वैज्ञानिकों ने एक अहम शोध में यह साबित किया है कि इन जैविक और प्लास्टिक अपशिष्टों को मिलाकर वैकल्पिक डीजल ईंधन तैयार किया जा सकता है।