भारत में रह रहे रोहिंग्या लोगों पर देश का सर्वोच्च न्यायालय विस्तृत सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर निर्णायक सुनवाई जरूरी है. अगर यह लोग भारत में शरणार्थी का दर्जा पाने योग्य हैं, तो यहां रह सकते हैं. अगर नहीं, तो उन्हें वापस भेजा जाना चाहिए.वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने के लिए यह सवाल तय किए हैं :क्या म्यांमार से आए रोहिंग्या लोग भारत में शरणार्थी का दर्जा पाने के हकदार हैं? अगर हां, तो उन्हें किस तरह का संरक्षण मिलेगा?क्या रोहिंग्या अवैध घुसपैठिए हैं? अगर हां, तो क्या केंद्र और राज्य सरकारों का यह दायित्व है कि उन्हें कानून के मुताबिक निर्वासित करें?अगर किसी रोहिंग्या को अवैध तरीके से भारत मे रहने के लिए हिरासत में लिया गया है, तो क्या उसे अनंत समय तक बंद रखा जा सकता है या शर्तों के साथ जमानत मिलनी चाहिए?जो रोहिंग्या हिरासत में नहीं हैं, शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं, क्या उन्हें पानी, स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा जैसी मौलिक सुविधाएं दी जा रही हैं?सुप्रीम कोर्ट जल्द तय करेगी सुनवाई की तारीखसुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (31 जुलाई, 2025) को हुई सुनवाई में जस्टिस सूर्य कांत, दीपांकर दत्ता और एन. कोटिश्वर सिंह के सामने भारत में रह रहे विदेशियों से जुड़ी 20 से अधिक याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं. बेंच ने मामलों को 2 श्रेणियों- रोहिंग्या और गैर-रोहिंग्या में बांट दिया. कोर्ट ने कहा कि पहले रोहिंग्या पर सुनवाई होगी. उसके बाद बाकी याचिकाओं को देखा जाएगा. जल्द ही सुनवाई की तारीख तय कर दी जाएगी.सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने रोहिंग्या के समर्थन में दाखिल की याचिकाएंरोहिंग्या लोगों को लेकर कई याचिकाएं लंबित हैं. इनमें से कुछ याचिकाएं भारत में रह रहे रोहिंग्या लोगों की है. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ ने भी उनके समर्थन में याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं. इन याचिकाओं में कहा गया है कि म्यांमार में जीवन पर खतरे के चलते रोहिंग्या भारत आए हैं. उन्हें यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन के मुताबिक शरणार्थी का दर्जा मिलना चाहिए.रोहिंग्या के अवैध प्रवेश और दस्तावेज बनवाने वाले लोगों पर हो कड़ी कार्रवाई- उपाध्यायइसके अलावा भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी एक याचिका दाखिल कर रखी है. 2017 से लंबित इस याचिका में मांग की गई है कि भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या लोगों की पहचान की जाए और उन्हें एक साल के भीतर वापस भेजा जाए. उपाध्याय ने इन लोगों के अवैध तरीके से भारत में प्रवेश और दस्तावेज बनवाने की भी विस्तृत जांच और इसमें मदद करने वालो पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.यह भी पढ़ेंः ओशनसैट से चंद्रयान-5 तक… NISAR की कामयाबी के बाद ISRO की अगली उड़ानें तैयार, केंद्र ने दी जानकारी