भारत में कुपोषण एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. भारत एक ऐसा देश है जहां खान-पान के शौकीन लोगों की कमी नहीं है लेकिन ये बात ध्यान देने वाली है कि जो खाना हम खा रहे हैं उससे हमारे शरीर को भरपूर मात्रा में पोषण मिल भी रहा है या नहीं. भारत में पांच साल से कम उम्र के कई बच्चे कुपोषित हैं जो चिंता का विषय है. आइये जानते हैं ऐसे कितने बच्चे हैं.क्या कहते हैं आंकड़ेदरअसल एक आंकड़ों के मुताबिक भारत में 16 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. खास तौर पर 5 साल से कम उम्र के लगभग 3 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. यह एक ऐसी समस्या है, जो न सिर्फ बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि देश के भविष्य को भी. वहीं पोषण ट्रैकर जून 2025 तक रजिस्टर्ड 37.07 प्रतिशत बच्चे नाटेपन से पीड़ित हैं. 19.3 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन हाईट के हिसाब से कम है. इसके अलावा, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, भारत में 5 साल से कम उम्र के 35.5% बच्चे बौने हैं, यानी उनकी उम्र के हिसाब से लंबाई कम है. 32.1% बच्चे कम वजन वाले हैं, और 7.7% बच्चे वेस्टिंग से ग्रस्त हैं.बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए क्या करें?संतुलित और पौष्टिक आहारबच्चों को कुपोषण से बचाने का पहला कदम है उनके लिए संतुलित आहार. 6 महीने तक बच्चों को केवल मां का दूध देना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए सबसे पौष्टिक और संपूर्ण आहार है. 6 महीने के बाद, पूरक आहार शुरू करें, जिसमें दाल, चावल, हरी सब्जियां, फल, और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, अंडे और मूंगफली शामिल हों. स्वच्छता पर ध्यानकुपोषण का एक बड़ा कारण डायरिया और अन्य बीमारियां हैं, जो गंदकी और दूषित पानी से होती हैं. बच्चों को साफ पानी और उबला हुआ पानी देना चाहिए. खाना बनाने और खिलाने से पहले हाथ धोना जरूरी है. नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरणबच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच से कुपोषण का शुरुआती चरण में पता लगाया जा सकता है. आंगनवाड़ी केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों का वजन, लंबाई और स्वास्थ्य जांच मुफ्त में की जाती है. इसके साथ ही सही समय पर टीकाकरण करवाएं जो बच्चों को बीमारियों से बचाते हैं.जागरूकता और शिक्षाकुपोषण से लड़ने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है. माता-पिता को पोषण, स्वच्छता और बच्चों के विकास के बारे में जागरुक होना बेहद जरूरी है. ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस दिशा में काम कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें- जाम छलकाने के नाम किस शहर की रहती हैं सबसे ज्यादा शाम? होश उड़ा देगा यह आंकड़ा