पिछले दो-तीन दिनों से राजधानी समेत पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश का दौर जारी है. यहां रुक-रुककर हो रही बारिश की वजह से लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली है. मौसम विभाग का कहना है कि अगले दो दिनों तक पश्चिमी यूपी के 20 से ज्यादा जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. मौसम में जब भी बदलाव होने वाला होता है तो मौसम विभाग आपको इस बदलाव के बारे में पहले से ही बता देता है. लेकिन क्या आपको पता है कि उन बदलाव के बारे में मौसम वैज्ञानिक कैसे पता लगाते हैं. चलिए जानें.कैसे पता करते हैं मौसमरिपोर्ट की मानें तो मौसम का बदलाव एक स्थान या एक समय पर हवा की स्थिति के अनुसार होता है. यह प्रक्रिया लगातार चलती है, लेकिन हवा की स्थिति के जरिए हर बार मौसम का अनुमान लगा पाना बहुत चुनौतीपूर्ण काम है. मौसम का पूर्वानुमान अलग-अलग जगहों से जुटाए गए डेटा के आधार पर किया जाता है. इन्हीं डेटा का अध्ययन करके मौसम का पता चलता है. जिन स्थितियों से डेटा जुटाया जाता है, उसको लेकर जमीनी अवलोकन, विमान से अवलोकन, डॉपलर रडार, रेडियो ध्वनि, सैटेलाइट आदि चीजें शामिल हैं. यहां से इकट्ठा की गई सूचनाओं को मौसम विज्ञान केंद्र पर भेजा जाता है. इसी डेटा के अनुसार मौसम वैज्ञानिक पूर्वानुमान लगाते हैं.कितने तरह का होता है मौसम का पूर्वानुमानमौसम का यह अनुमान अलग-अलग आधार पर लगाया जाता है. जैसे कि एक मौसम का पूर्वानुमान लंबे समय के लिए होता है, तो वहीं एक उसी दिन के लिए भी होता है. जैसे कि कई बार इस बात की भी जानकारी लेनी होती है कि साल में कैसा मॉनसून रहेगा, वहीं कई बार यह भी पता लगाना होता है कि अगले तीन घंटों में तूफान कहां पर रहेगा, इसीलिए समय के आधार पर अलग-अलग पूर्वानुमान लगाए जाते हैं. किन चीजों का होता है इस्तेमालमौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए कंप्यूटर मॉडल और उपग्रह डाटा का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए आईएमडीबी इनसेट सीरीज के सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल करता है. इन कंप्यूटर में डेटा कलेक्ट करने के लिए सबसे पहले बादलों की स्पीड के साथ-साथ उनका तापमान और उनके घनत्व का पता करके लगातार उसकी जांच की जाती है. इसके बाद ही सुपर कंप्यूटर इस बात का पता लगा पाता है कि आखिर कब और कहां पर कितनी बारिश होगी.यह भी पढ़ें: क्या ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ शिकायत कर सकता है भारत, ऐसे मामलों की कहां होती है सुनवाई?