जंग सिर्फ बंदूकों-गोलियों से नहीं... ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी पर बोले राजनाथ

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Written by:Rakesh Ranjan KumarLast Updated:July 27, 2025, 17:36 ISTइम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटन्यूज़ बुलेटिनराजनाथ सिंह ने जंग के हालात में लॉजिस्टिक मैनेजमेंट को अहम बताया. (रॉयटर्स)वडोदरा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाकर भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से मई में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता में विभिन्न एजेंसियों द्वारा संसाधनों (लॉजिस्टिक) का प्रबंधन एक निर्णायक कारक था. राजनाथ वडोदरा में रेल मंत्रालय के तहत आने वाले गति शक्ति विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों और अध्यापकों को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे.उन्होंने कहा, “दुनिया जिस तेजी से बदल रही है, वह प्रभावी एवं चौंकाने वाली भी है. रक्षा क्षेत्र भी बदल रहा है और युद्ध के तरीकों में भी बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. आज के दौर में युद्ध सिर्फ बंदूकों और गोलियों से नहीं, बल्कि समयबद्ध तरीके (चीजों का प्रंधन करने) से जीते जाते हैं.” राजनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि संसाधनों का प्रबंधन युद्ध के मैदान में देश का भाग्य तय करता है. उन्होंने कहा कि जीत और हार जरूरी संसाधनों से तय होती है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पूरी दुनिया ने इसे देखा.राजनाथ ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में संसाधनों का प्रबंधन एक निर्णायक कारक था. विभिन्न एजेंसियों ने हमारे सशस्त्र बलों को जुटाने से लेकर सही समय पर सही जगह पर आवश्यक सामग्री पहुंचाने तक, जिस तरह से जरूरी संसाधनों का प्रबंधन किया, वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता में एक निर्णायक कारक साबित हुआ.”उन्होंने कहा कि ‘लॉजिस्टिक’ को केवल सामान पहुंचाने की प्रक्रिया के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाना चाहिए. रक्षा मंत्री ने कहा, “संसाधन ही युद्धक्षेत्र को युद्धक्षेत्र बनाते हैं. संसाधनों के बिना, यह एक असमंजस का क्षेत्र बन जाएगा. युद्ध के दौरान अगर हथियार और गोला-बारूद सही समय पर सही जगह न पहुंचें, तो इसका कोई मतलब नहीं है. हमारा संसाधन प्रबंधन जितना मजबूत होगा, हमारी सीमाएं भी उतनी ही सुरक्षित होंगी.”उन्होंने कहा, “आज हम ऐसे दौर में हैं, जहां ताकत सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि समय पर संसाधन प्रबंधन से मापी जाती है. चाहे युद्ध हो, आपदा हो या वैश्विक महामारी, यह सिद्ध हो चुका है कि जो राष्ट्र अपनी आपूर्ति शृंखला को मजबूत रखता है, वह सबसे स्थिर, सुरक्षित और सक्षम होता है.” राजनाथ ने कहा कि सेना के लिए संसाधन प्रबंधन का मतलब है कि हथियार, ईंधन, राशन और दवाइयां बिना किसी देरी के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचें, जबकि नौसेना के मामले में इसका अर्थ यह सुनिश्चित करना है कि जहाजों को समय पर कलपुर्जे और अन्य उपकरण उपलब्ध हों.रक्षा मंत्री ने कहा, “और हमारी वायु सेना के लिए इसका मतलब यह सुनिश्चित करना है कि जमीनी सहायता और निर्बाध ईंधन आपूर्ति की मदद से जेट विमान बिना किसी बाधा के उड़ान भरना जारी रखें. जरा सोचिए, अगर हमारे पास उन्नत मिसाइल प्रणालियां हैं, लेकिन उन्हें प्रक्षेपित करने के लिए जरूरी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण समय पर नहीं पहुंचते, तो उस तकनीकी का कोई फायदा नहीं है.” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘पीएम गति शक्ति’ पहल, ‘लॉजिस्टिक’ एकीकरण के विचार का ही विस्तार है.About the AuthorRakesh Ranjan Kumarराकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ेंराकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h... और पढ़ेंhomenationजंग सिर्फ बंदूकों-गोलियों से नहीं... ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी पर बोले राजनाथऔर पढ़ें