जानें अपने अधिकार- बिना इजाजत आपकी कॉल रिकॉर्ड करना अपराध:क्या है लॉ, एक्सपर्ट से जानें आपके राइट्स और कानूनी धाराओं की डिटेल

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स्मार्टफोन आज बातचीत का सबसे आम जरिया बन गया है। करोड़ों लोग निजी बातों से लेकर बिजनेस डील तक सब कुछ रोजाना फोन कॉल्स पर करते हैं। कई बार लोग इन कॉल्स को सबूत के तौर पर रिकॉर्ड कर लेते हैं। लेकिन जब इन्हीं रिकॉर्डिंग्स का इस्तेमाल डराने, धमकाने या किसी की छवि बिगाड़ने के लिए किया जाता है तो यह सिर्फ अनैतिक नहीं, बल्कि भारतीय कानून के तहत अपराध भी है। बिना अनुमति किसी की बातचीत रिकॉर्ड करना निजता का गंभीर उल्लंघन माना जाता है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आप शिकायत कर सकते हैं। तो चलिए, जानें अपने अधिकार के कॉलम में जानेंगे कि भारत में कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर कानून क्या कहता है? साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: सरोज कुमार सिंह, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट सवाल- कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर कानून क्या कहता है? जवाब- एडवोकेट सरोज कुमार सिंह बताते हैं कि भारत में कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर कोई एक विशेष कानून नहीं है, बल्कि अलग-अलग कानूनों की कुछ धाराएं इसका कानूनी ढांचा बनाते हैं। मुख्य रूप से तीन कानून इससे जुड़े माने जाते हैं- सवाल- क्या बिना इजाजत कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर कोर्ट क्या कहता है? जवाब- सुप्रीम कोर्ट से लेकर अलग-अलग कोर्ट कई अहम फैसलों से यह समझा जा सकता है कि यह कब वैध और कब अवैध माना जाएगा। इसे इन पॉइंट्स से समझिए- जस्टिस के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत सरकार (2017)- सुप्रीम कोर्टबिना सहमति कॉल रिकॉर्ड करना निजता का उल्लंघन हो सकता है। कोई भी सरकारी संस्था या व्यक्ति किसी की बातचीत रिकॉर्ड नहीं कर सकता जब तक कि वह कानूनन और सार्वजनिक हित में न हो। मानव रंजन त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2022)- इलाहाबाद हाईकोर्टएक राजनीतिक व्यक्ति द्वारा बिना सहमति कॉल रिकॉर्डिंग कर सोशल मीडिया पर वायरल की गई। कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से निजता का उल्लंघन है और इसके खिलाफ आईटी एक्ट और आईपीसी (अब BNS) की धाराओं में मामला बनता है। राजतिलक दास बनाम उत्तर प्रदेश राज्य सरकार (2009)- इलाहाबाद हाईकोर्ट पति द्वारा पत्नी की कॉल्स रिकॉर्ड कर कोर्ट में पेश करने की कोशिश की गई। कोर्ट ने कहा कि बिना सहमति की गई रिकॉर्डिंग निजता का हनन है और इसका वैवाहिक विवाद में उपयोग सीमित रूप से ही किया जा सकता है। आर. एम. मलकानी बनाम महाराष्ट्र राज्य (1973)- सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कॉल रिकॉर्ड करने वाला व्यक्ति खुद उस बातचीत में शामिल है और कोई अन्य कानून नहीं टूट रहा तो रिकॉर्डिंग गैरकानूनी नहीं मानी जाएगी।जुल्फिकार नासिर बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य (2013) जम्मू-कश्मीर हाईकोर्टजम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि जब कॉल रिकॉर्ड करने वाला खुद बातचीत में शामिल है तो अनुमति न होने पर भी यह गैरकानूनी नहीं है। सवाल- अगर मोबाइल में पहले से कॉल रिकॉर्डिंग ऑन है फिर भी क्या यह कानूनी अपराध है? जवाब- अगर आप खुद उस कॉल में शामिल हैं और रिकॉर्ड कर रहे हैं तो ये अवैध नहीं माना जाता है। लेकिन अगर उस रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल ब्लैकमेल, धमकी या किसी गलत मकसद से किया जाता है तो ये अपराध है। किसी और की बातचीत को चोरी-छिपे रिकॉर्ड करना या हैकिंग डिवाइस से किसी को सुनना सख्त तौर पर गैरकानूनी है। सवाल- कॉल रिकॉर्डिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि यह नैतिक और कानूनी रूप से सही माना जाए? जवाब- एडवोकेट सरोज कुमार सिंह बताते हैं कि कॉल रिकॉर्डिंग अगर सही उद्देश्य और नियमों के तहत की जाए तो वह नैतिक और कई मामलों में कानूनी रूप से भी स्वीकार्य हो सकती है। इसके लिए हमेशा बातचीत शुरू करने से पहले सामने वाले को सूचित करें और उनकी सहमति लें। रिकॉर्डिंग केवल कानूनी सबूत, सेवा सुधार या जरूरी डॉक्यूमेंटेशन के लिए करें। इसके अलावा रिकॉर्डिंग को पासवर्ड या एन्क्रिप्शन जैसी तकनीकों से सुरक्षित रखें ताकि दुरुपयोग न हो। सवाल- क्या कॉल रिकॉर्डिंग को कोर्ट में सबूत की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है? जवाब- हां, अगर कॉल रिकॉर्डिंग वैध तरीके से की गई है यानी रिकॉर्डिंग करने वाला खुद उस बातचीत में शामिल है और बातचीत प्रमाणिक है तो इसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है। हालांकि कोर्ट यह जांचता है कि रिकॉर्डिंग से किसी की निजता का उल्लंघन तो नहीं हुआ और क्या उसे कानूनी रूप से स्वीकार किया जा सकता है। सवाल- कैसे पहचानें कि आपकी कॉल रिकॉर्ड की जा रही है? जवाब- अगर आपको शक है कि आपकी कॉल कोई रिकॉर्ड कर रहा है तो कुछ संकेतों से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कॉल के दौरान बैकग्राउंड में क्लिकिंग या हल्की बीप जैसी आवाजें आना, आवाज में बार-बार गड़बड़ी या लैग महसूस होना या बातचीत के बीच किसी तीसरे शख्स की आवाज आना ये सभी संभावित संकेत हो सकते हैं कि कॉल रिकॉर्ड हो रही है। सवाल- अगर कोई मुझे फोन पर धमका रहा है या ब्लैकमेल कर रहा है, तो क्या मैं उसकी कॉल रिकॉर्ड कर सकता हूं? जवाब- हां, अगर आप खुद उस बातचीत में शामिल हैं और धमकी या ब्लैकमेल का सबूत जुटा रहे हैं तो रिकॉर्डिंग करना कानूनन सही है। लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ पुलिस में शिकायत या कानूनी कार्रवाई के लिए करें। इसे सोशल मीडिया पर डालना या दूसरों को भेजना गलत है। इससे खुद आपके खिलाफ केस बन सकता है। सवाल- क्या कॉल सेंटर या कस्टमर केयर कॉल्स की रिकॉर्डिंग के लिए कोई नियम हैं? जवाब- हां, जब आप किसी कॉल सेंटर या कस्टमर केयर पर कॉल करते हैं तो शुरू में बताया जाता है कि कॉल रिकॉर्ड की जा रही है। इसे आपकी सहमति माना जाता है। ऐसी रिकॉर्डिंग का मकसद सिर्फ सर्विस सुधारना होता है, न कि आपकी निजी जानकारी का गलत इस्तेमाल करना। सवाल- क्या वॉयस कॉल्स की तरह ही वीडियो कॉल्स की रिकॉर्डिंग पर भी यही नियम लागू होते हैं? जवाब- जी हां, वीडियो कॉल्स की रिकॉर्डिंग भी निजता के अधिकार के अंतर्गत आती है। बिना सहमति किसी की वीडियो रिकॉर्डिंग करना, वायरल करना या बदनाम करने के लिए इस्तेमाल करना गंभीर अपराध है। इस पर आईटी एक्ट की धारा 66E और BNS की संबंधित धाराएं लागू हो सकती हैं। ……………………….. ये खबर भी पढ़िए…जानें अपने अधिकार- बिना टिकट पकड़े जाने पर घबराएं नहीं:ट्रेन में TTE नहीं कर सकता गिरफ्तार हम सभी ट्रेन से यात्रा करते हैं। सफर के दौरान अक्सर ही हमारा सामना TTE और RPF से होता रहता है। कई बार हम अनजाने में या किसी मजबूरी में बिना टिकट या गलत टिकट लेकर यात्रा करते हैं और पकड़े जाने पर घबरा जाते हैं। जबकि हमारे भी कुछ कानूनी अधिकार होते हैं। पूरी खबर पढ़िए…