दरअसल, ऊषा देवी और उनके पति भुवनेश पचौरी ने बुढ़ापे का सहारा बनाने के लिए घटना से पूरे 20 वर्ष पहले 2004 में ग्वालियर के अनाथ आश्रम से दीपक पचौरी को गोद लिया था, तब वह लगभग छह साल का था। दोनों ने उसे पढ़ाया-लिखाया और परवरिश की, लेकिन 2021 में पिता भुवनेश पचौरी की मौत होने के बाद दीपक बुरी संगत में पड़ गया और अपने नाम की गई।