जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स का खतरा गंभीर रूप से मंडरा रहा है. इसकी तस्वीर केंद्र सरकार ने संसद में पेश की. सीमापार से आतंकवादी सिंडिकेट जम्मू-कश्मीर में नशीले पदार्थ पहुंचा रहे हैं, वहीं कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इन प्रयासों को विफल करते हुए 2018 से अब तक 1.12 लाख किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ जब्त किए हैं. नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत 10,000 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया गया है.लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए. मंत्री ने कहा, "पिछले 5 वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश में मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध खेती और मादक पदार्थों के सेवन के मामलों में लगातार और चिंताजनक वृद्धि देखी गई है." उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े 2018 से 2020 तक मादक पदार्थों की जब्ती में तेज वृद्धि दर्शाते हैं और उसके बाद के वर्षों में इसमें धीरे-धीरे गिरावट आई है.आधिकारिक रिकॉर्ड से जुड़े डेटाआधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 2018 में कुल 19,353 किलोग्राम नशीले पदार्थों के साथ-साथ 87,713 यूनिट और लगभग 8,000 लीटर नशीले पदार्थ जब्त किए गए थे. 2019 में जब्ती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और 2020 में यह चरम पर पहुंच गई. इस दौरान अधिकारियों ने 27,000 किलोग्राम से अधिक नशीले पदार्थ और 40,000 लीटर से अधिक तरल नशीले पदार्थ जब्त किए. हालांकि, 2021 के बाद से जब्त किए गए पदार्थों की मात्रा में गिरावट देखी गई, हालांकि अधिकारियों का मानना है कि तस्करी की गतिविधियां जारी रहीं और अक्सर अधिक गुप्त तरीकों का सहारा लिया गया.NDPA अधिनियम के तहत गिरफ्तारियों की संख्याभारत सरकार ने आगे बताया कि NDPA अधिनियम के तहत गिरफ्तारियों की संख्या में भी इसी तरह का रुझान रहा. 2018 में 1,460 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 2019 में यह संख्या बढ़कर 1,884 हो गई. हालांकि 2020 में इसमें थोड़ी गिरावट आई, लेकिन 2021 में गिरफ्तारियों में फिर से वृद्धि हुई और 2022 में यह 5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जब नशीले पदार्थों से संबंधित अपराधों के लिए 3,453 लोगों को गिरफ्तार किया गया. कानून प्रवर्तन प्रयासों के साथ-साथ, सरकार ने क्षेत्र में अवैध फसल की खेती के बड़े पैमाने पर विनाश की भी सूचना दी.सैकड़ों एकड़ अफीम और भांग की खेती का उन्मूलन2020 से 2024 तक जम्मू और कश्मीर में सैकड़ों एकड़ अफीम और भांग की खेती का उन्मूलन हुआ. 2020 में 893 एकड़ अफीम की फसल नष्ट की गई, लेकिन अगले दो वर्षों में यह आंकड़ा तेज़ी से गिरा, लेकिन 2023 और 2024 में फिर से बढ़ गया. इसी तरह बड़े पैमाने पर भांग की फसल नष्ट की गई. 2023 में 900 एकड़ से ज़्यादा और 2024 में लगभग 1,000 एकड़ ज़मीन साफ़ की गई. सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में अपने नशामुक्ति प्रयासों पर भी प्रकाश डाला. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत, नशामुक्ति सेवाएं प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की संख्या 2020-21 में लगभग 1,500 से बढ़कर 2024-25 में 35,000 से ज़्यादा हो गई.जम्मू-कश्मीर में मौजूद नशामुक्ति केंद्र2020 से अब तक जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग नशामुक्ति केंद्रों से 83,208 लोगों का इलाज किया गया है और उन्हें छुट्टी दी गई है. वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में दस नशामुक्ति केंद्र संचालित हैं जो बड़ी संख्या में नशेड़ियों का इलाज कर रहे हैं. इस बीच, मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (आईएमएचएएनएस) कश्मीर के ड्रग ट्रीटमेंट क्लिनिक ने 2021-22 में 3,207 नए पंजीकरण दर्ज किए, जबकि 2022-23 में 3,334 नए पंजीकरण हुए. 2023-24 में यह संख्या घटकर 1,457 रह गई और जनवरी 2025 तक 1,389 मरीज पंजीकृत हुए. कुल मिलाकर, आईएमएचएएनएस कश्मीर ने 9,387 नशे की लत के मरीज़ों का इलाज किया है.सरकार ने लोकसभा में दी जानकारीएक मामले पर सरकार ने लोकसभा को बताया कि 2018 से, जम्मू-कश्मीर में कम से कम 17 आत्महत्या नशीली दवाओं के दुरुपयोग और शराब की लत से जुड़ी हैं. ये आंकड़े संकट की गहराई और नशे की लत व इसके परिणामों से निपटने के लिए एक अधिक मजबूत समुदाय-संचालित प्रक्रिया की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं. गृह मंत्रालय ने कड़े प्रवर्तन, व्यापक जागरूकता अभियानों और पूरे केंद्र शासित प्रदेश में उपचार एवं पुनर्वास सुविधाओं के विस्तार के माध्यम से नशीली दवाओं के खतरे को रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.ये भी पढ़ें: India-UK FTA: लंदन पहुंचे पीएम मोदी, भारत ब्रिटेन के बीच आज ऐतिहासिक समझौता, FTA लागू होते ही ये चीजें हो जाएंगी सस्ती