डीयू में पहले ही राउंड में 86% स्टूडेंट्स ने मानी सीट, दूसरे राउंड में भी मिल सकता है मनचाहा कोर्स

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दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया इस साल भी काफी दिलचस्प रही है. पहले राउंड में ही छात्रों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया. यूनिवर्सिटी ने पहले राउंड में 93,166 सीटें अलॉट की थीं, जिनमें से करीब 86% सीटों को स्टूडेंट्स ने एक्सेप्ट कर लिया. सोमवार को सीट एक्सेप्ट करने की आखिरी तारीख थी, वहीं मंगलवार को कॉलेजों को डॉक्युमेंट्स वेरिफाई कर दाखिले को मंजूरी देनी थी.रिपोर्ट्स के अनुसार सोमवार शाम तक 31,088 दाखिलों को कॉलेज प्रिंसिपलों ने मंजूरी दे दी थी, और 17,702 स्टूडेंट्स ने फीस भरकर अपनी सीट पक्की कर ली थी. अब जिन स्टूडेंट्स को सीट मिली है, उन्हें 23 जुलाई 2025 तक फीस भरनी थी, तभी उनका एडमिशन फाइनल माना जाएगा.सीटें ज्यादा, फिर भी 13 हजार पर नहीं दिखी रुचिदिल्ली यूनिवर्सिटी में करीब 71,000 सीटें हैं, लेकिन इस बार पहले राउंड में लगभग 93 हजार सीटें अलॉट की गईं, ताकि अधिक से अधिक छात्रों को मौका मिल सके. इसके बावजूद 13,000 से ज्यादा सीटों पर छात्रों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसका कारण यह हो सकता है कि उन्हें मनपसंद कॉलेज या कोर्स नहीं मिला.‘अपग्रेड’ का भी विकल्प, मिल सकता है बेहतर कॉलेजडीयू की एडमिशन ब्रांच ने उन छात्रों को जो अपनी मिली हुई सीट से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं, ‘अपग्रेड’ का विकल्प भरने को कहा था. अगर किसी को फिलहाल कोई कॉलेज या कोर्स मिला है, लेकिन वह उसमें बदलाव चाहता है, तो सीट एक्सेप्ट करने के साथ 'अपग्रेड' ऑप्शन चुनने से अगले राउंड में उसे बेहतर विकल्प मिल सकता है.कटऑफ का संतुलन बनाए रखने की रणनीतिडीयू ने इस साल पहले राउंड में ही जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में 30% ज्यादा और एससी-एसटी वर्ग में 50% ज्यादा सीटें अलॉट की हैं. इसका उद्देश्य यह है कि जब कुछ स्टूडेंट्स दूसरे राउंड में कॉलेज या कोर्स बदलेंगे, तो सीटों का संतुलन बना रहे.कुछ प्रमुख कॉलेजों में पहले ही राउंड में 70% सीटें भरने की संभावना है, क्योंकि इन कॉलेजों में छात्रों द्वारा एडमिशन वापस लेने (विदड्रॉल) की दर बहुत कम रहती है. ऐसे कॉलेज आमतौर पर ज्यादा डिमांड में रहते हैं.यह भी पढ़ें- 8वें वेतन आयोग के बाद चपरासी की सैलरी में होगा बड़ा बदलाव, जानें कितनी मिलेगी तनख्वाह