जीवन में सफलता पाने के लिए समय का सही उपयोग और मेहनत जरूरी है। लेकिन कई बार हम अपने जरूरी कामों को टालते रहते हैं, जिसे प्रोक्रैस्टिनेशन भी कहते हैं। यह आदत न केवल हमारा समय बर्बाद करती है, बल्कि हमारे आत्मविश्वास और अवसरों को भी कमजोर करती है। क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटा सा काम टालने की आदत आपके सपनों को कितना पीछे धकेल सकती है? आज 'सक्सेस मंत्रा' कॉलम में हम समझेंगे कि प्रोक्रैस्टिनेशन क्या है। साथ ही जानेंगे कि- हम यह भी देखेंगे कि हर दिन 1% बेहतर बनकर आप अपनी जिंदगी में बड़ा बदलाव कैसे ला सकते हैं। प्रोक्रैस्टिनेशन क्या है? प्रोक्रैस्टिनेशन वह आदत है जिसमें व्यक्ति अपने जरूरी कामों को बार-बार बाद के लिए टाल देता है। आपने कभी न कभी तो ऐसा किया होगा, कोई काम करना है, लेकिन आप उसे 'कल करूंगा' कहकर टाल देते हैं। इसे ही प्रोक्रैस्टिनेशन कहते हैं। हिंदी में इसे 'काम टालना' या 'टालमटोल' कह सकते हैं। यह तब होता है जब कोई काम हमें मुश्किल, उबाऊ या डरावना लगता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह चिंता या तनाव से बचने का एक तरीका है। मान लीजिए आपको एक प्रोजेक्ट पूरा करना है, लेकिन आपको लगता है कि यह बहुत बड़ा और जटिल है। आप सोचते हैं, ‘अभी तो समय है, बाद में कर लूंगा।’ फिर, वो 'बाद में' कभी नहीं आता है। क्या यह आपके साथ भी होता है? यह प्रोक्रैस्टिनेशन का एक क्लासिक उदाहरण है। प्रोक्रैस्टिनेशन के लक्षण क्या आपको पता है कि प्रोक्रैस्टिनेशन की आदत को पहचानना कितना आसान है? यह हमारे रोजमर्रा के व्यवहार में छुपा होता है। कुछ बेहद आम लक्षण हैं- सुबह की योजना, शाम तक टालना: आप सोचते हैं, सुबह पढ़ाई करूंगा, लेकिन शाम तक टाल देते हैं। अलार्म को स्नूज करना: सुबह जल्दी उठने का अलार्म लगाते हैं, लेकिन बार-बार स्नूज कर देते हैं। बहाने बनाना: आज थक गया हूं, कल करूंगा या आज मूड नहीं है, जैसे बहाने। समय की गलत कैलकुलेशन: अभी तो बहुत समय है, इस तरह सोचना। मूड पर निर्भरता: मूड बन जाए, फिर करूंगा। परफेक्ट समय का इंतजार: अभी सही वक्त नहीं है, सारे संसाधन नहीं हैं। प्रोक्रैस्टिनेशन के नुकसान काम टालने की आदत छोटी लग सकती है, लेकिन इसके नुकसान बड़े हैं। यह हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करती है: समय की बर्बादी: जो समय चला गया, वो कभी वापस नहीं आता। खासकर अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। ऊर्जा का नुकसान: जब आप काम को टालते हैं, तो बाद में उसे करने में ज्यादा मेहनत लगती है। शुरुआती जोश भी खत्म हो जाता है। मौके खो देना: आलस की वजह से कई अच्छे मौके हाथ से निकल जाते हैं। स्किल्स: आज की तेज दुनिया में अगर आप समय पर स्किल्स नहीं सीखते, तो पीछे रह जाते हैं। एक बार सोचिए कि अगर आपने पिछले महीने वो किताब पढ़ ली होती या वो कोर्स शुरू कर दिया होता, तो आज आप कितने आगे होते? प्रोक्रैस्टिनेशन से कैसे बचें? अब सवाल यह है कि इस आदत को कैसे छोड़ें? अच्छी खबर यह है कि कुछ आसान और कारगर तरीकों से आप इसे काबू कर सकते हैं। यहां कुछ टिप्स हैं: छोटी-छोटी आदतों पर ध्यान दें अपनी रोज की आदतों को देखें। अगर आप सुबह फोन चेक करने में 30 मिनट बर्बाद करते हैं, तो इसे 5 मिनट तक सीमित करें। छोटे बदलाव बड़े नतीजे लाते हैं। मिसाल के तौर पर, पढ़ाई शुरू करने से पहले फोन देखने की बजाय, उसे दूर रखें और किताब खोलें। पहला कदम 3 मिनट में उठाएं किसी भी काम का पहला हिस्सा तुरंत शुरू करें। किताब पढ़नी है? एक पेज पढ़ें। टहलना है? जूते पहन लें। इसे '3 मिनट का नियम' कहते हैं। एक बार शुरू करने के बाद, आप खुद-ब-खुद आगे बढ़ते हैं। भावनाओं पर काबू रखें कई बार उदासी, गुस्सा, या तनाव हमें काम टालने के लिए मजबूर करते हैं। अपने मन को समझाएं। उदास हैं? खुद से कहें, 'काम शुरू करूंगा तो अच्छा 5 मिनट में शुरू हो जाएंगे।' सकारात्मक सोचें- 'मैं यह कर सकता हूँ।' ये तरीके आसान हैं, लेकिन इन्हें आजमाने के लिए आपको थोड़ा धैर्य चाहिए। कोशिश करें, और धीरे-धीरे आपकी आदत बदल जाएगी। हर दिन 1% बेहतर कैसे बनें? प्रोक्रैस्टिनेशन से बचना और हर दिन बेहतर बनना एक साथ चल सकता है। कल्पना करें। अगर आप हर दिन सिर्फ 1% बेहतर होते हैं, तो साल के अंत तक आप कितने आगे होंगे? यह कोई जादू नहीं है, बल्कि छोटे-छोटे प्रयासों का नतीजा है। छोटे लक्ष्य बनाएं: हर दिन एक छोटा लक्ष्य चुनें। जैसे, 10 पेज पढ़ना या 15 मिनट एक्सरसाइज करना। प्रगति देखें: हर हफ्ते पीछे मुड़कर देखें कि आपने क्या हासिल किया। खुद को प्रेरित करें: जब आप छोटी जीत हासिल करते हैं, तो यह आपको आगे बढ़ने की हिम्मत देता है। मान लीजिए आप एक स्टूडेंट हैं। अगर आप हर दिन 1% ज्यादा पढ़ते हैं तो महीने के अंत तक आपकी तैयारी कितनी बेहतर होगी? या अगर आप जॉब करते हैं, तो हर दिन थोड़ा ज्यादा मेहनत करने से आपकी स्किल्स में कितना फर्क आएगा? याद रखें, सफलता रातोंरात नहीं मिलती। यह छोटे कदमों से बनती है। आज से शुरू करें, पहला कदम उठाएं और अपने सपनों की ओर बढ़ें। रोज करें खुद में सुधार प्रोक्रैस्टिनेशन एक ऐसी आदत है जो हमें पीछे खींचती है, लेकिन इसे समझकर और सही तरीकों से हम इससे बाहर निकल सकते हैं। यह हमारे समय, ऊर्जा, और आत्मविश्वास को चुराती है, लेकिन छोटे बदलावों से हम इसे हरा सकते हैं। हर दिन 1% बेहतर बनने का लक्ष्य आपको धीरे-धीरे आपके सपनों के करीब ले जाएगा। .......................... ये खबर भी पढ़ें सक्सेस मंत्रा- क्या आपका दिमाग इधर-उधर भागता है:कैसे सीखें दिल-दिमाग को एकाग्र करना, रोज करें 6 अभ्यास, यही है सफलता का राज महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था- सफलता जिज्ञासा, एकाग्रता, दृढ़ता और आत्म-आलोचना से आती है। उनकी यह बात उनकी क्रांतिकारी खोजों में झलकती है। पूरी खबर पढ़िए...