पूजा-पाठ में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है, और इस धार्मिक शुद्धता में इत्र की भी अहम भूमिका होती है. कन्नौज, जिसे 'इत्र नगरी' कहा जाता है, वहां के पारंपरिक इत्र न सिर्फ शृंगार या फैशन के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि अब ये पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का भी अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं. गुलाब, चंदन और ख़स जैसे शुद्ध और प्राकृतिक इत्रों का उपयोग खासतौर पर शिव, राधा-कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की पूजा में किया जाता है, जो न सिर्फ वातावरण को सुगंधित करते हैं बल्कि मन को भी शांत और पवित्र करते हैं.