हिंदुओं में मौत के बाद होती है तेरहवीं तो मुसलमानों में क्या होता है? जान लीजिए जवाब

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जीवन और मौत हमारी इच्छा से नहीं होता है. जिसने धरती पर जन्म लिया है, उसको एक दिन इस दुनिया को छोड़ना ही होगा, यही संसार का नियम है. फिर चाहे उस व्यक्ति की यहां से जाने की इच्छा हो या न हो, लेकिन जीवन और मृत्यु में आपकी सोच के हिसाब से कुछ भी नहीं होता है. यहां कोई अमर होकर नहीं आता है. यह सब सांसारिक मोह माया है, जिससे कि इंसान मुक्त नहीं होना चाहता है. लेकिन जब इंसान की सांसें थम जाती हैं, तब वो इस संसार के सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है. लेकिन इसके बाद उसके परिजनों के बंधन बढ़ जाते हैं, क्योंकि इंसान के संसार से विदा लेने के बाद भी बहुत सारी रस्म और रिवाज किए जाते हैं. माना जाता है कि अगर इन नियमों का पालन न किया जाए तो मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है और उसकी आत्मा धरती पर भटकती रहती है. इसीलिए हिंदुओं में किसी की भी मौत के बाद तेरहवीं की रस्म और शांति पाठ का आयोजन जरूर किया जाता है. आइए जानें कि इस तरीके से मुसलमानों में कौन सी रस्म होती है. मुस्लिमों में उस रस्म को क्या कहते हैंजिस तरीके से हिंदू समाज में मरने के बाद मृत्यु भोज का आयोजन होता है, ठीक उसी तरह से मुस्लिम समाज में भी मरने के बाद मृत्यु भोज कराने का नियम होता है. इसको चेहल्लुम कहा जाता है. चेहल्लुम में गरीब लोगों भोजन कराए जाने का नियम होता है. इसका आयोजन उस शख्स की मृत्यु के 40वें दिन बाद किया जाता है. वैसे तो चेहल्लुम के भोजन का हक सिर्फ गरीब लोगों को होता है, लेकिन पहले के समय में अमीर वर्ग के लोग इस भोजन को खाते थे. लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदलता गया और लोग जागरूक हुए तो अमीर वर्ग के लोगों ने चेहल्लुम में भोजन करना छोड़ दिया. किस तरह अदा होती है मृत्यु के बाद की रस्मइस्लाम धर्म में 40वें दिन होने वाले चेहल्लुम की बहुत मान्यता है. 40वें दिन उस शख्स के परिवार के सभी लोग मौजूद रहते हैं. इस मौके पर घर वाले मृत शख्स के लिए खास नमाज अदा करते हैं और दुआ पढ़ते हैं. इस दिन उस मनुष्य की पसंद का खाना बनाया जाता है और फिर उसे गरीबों में बंटवाया जाता है. परिवार के कुछ सदस्य इस दौरान मरे हुए व्यक्ति की कब्र पर जाकर नमाज अदा करते हैं और फातिहा पढ़ते हैं. इस दिन मृतक की जिंदगी के दिनों को परिजन याद करते हैं और उसके साथ बिताए गए पलों के बारे में भी बातें करते हैं. इस दौरान महिलाएं कुरान का पाठ भी करती हैं. यह भी पढ़ें: स्पेस में फिजिकल रिलेशन बनाने से क्यों मना करता है NASA, वहां प्रेग्नेंट हुए तो क्या हो जाएगा?