याचिकाकर्ता ने की कांग्रेस को तिरंगे में चुनाव चिन्ह लगाने से रोकने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

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राजनीतिक पार्टियों की तरफ से तिरंगा झंडे में अशोक चक्र की जगह पार्टी चिन्ह लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि कुछ पार्टियां स्वतंत्रता के पहले से ऐसा कर रही हैं.याचिकाकर्ता संजय भीमशंकर थोबड़े का कहना था कि राष्ट्रीय ध्वज में इस तरह की छेड़छाड़ राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) का उल्लंघन है. याचिका में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के झंडों का उल्लेख किया गया था. दोनों ही पार्टियां तिरंगा झंडे में अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह लगाती हैं.मामला सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच में लगा. याचिकाकर्ता अपनी याचिका की पैरवी के लिए खुद कोर्ट में मौजूद था. याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी याचिका राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण कानून को लेकर है. पार्टियां राष्ट्रीय ध्वज पर अपना चुनाव चिन्ह प्रदर्शित कर रही हैं.चीफ जस्टिस ने पूछा, 'ऐसा कब से हो रहा है?' याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सवाल का कोई स्पष्ट जवाब देने की बजाय कहा कि कांग्रेस के झंडे में तिरंगे में पार्टी का चिन्ह लगाया गया है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'कुछ पार्टियां देश की आज़ादी के पहले से तिरंगे झंडे में अपना प्रतीक चिन्ह लगा रही हैं. हम आपकी याचिका खारिज करते हैं.'