'देखते हैं क्या होता है', जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर ममता बनर्जी का पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा?

Wait 5 sec.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है. हावड़ा में पत्रकारों से बात करते हुए ममता ने कहा, “मुझे इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करनी है. देखते हैं क्या होता है.' उन्होंने आगे कहा, “वे एक स्वस्थ व्यक्ति हैं. मुझे लगता है कि उनका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है.' ममता बनर्जी का यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी दल लगातार उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को लेकर सवाल उठा रहे हैं और इसे राजनीतिक कारणों से जुड़ा मान रहे हैं.रिपोर्टर पर भड़कीं ममतामीडिया से बातचीत के दौरान ममता बनर्जी एक रिपोर्टर पर बरस पड़ीं. उन्होंने रिपोर्टर से गुस्से में कहा, हम जो करते है वो तो आप नहीं कहते, आप लोग तो सिर्फ बीजेपी की बात करते है ? हमारी बात करने की हिम्मत है? जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के सवाल पर ममता ने कहा आप इसका डेकोरेशन क्यों कर रहे हो? आप धनकर जी के इस्तीफे के सवाल को इतना सजा कर मत पूछिए. वो एक स्वस्थ इंसान है.जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को भेजा था इस्तीफाजगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेजा था. मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने’’ के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं.धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, 'स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं.मुखर रवैये की वजह से काफी सुर्खियों में रहे थे जगदीप जगदीप धनखड़ ने अपने मुखर रवैये और विवादों के चलते सुर्खियां बटोरीं, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा चर्चा उस समय हुई जब वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. उस दौर में उनके व्यवहार को लेकर कई बार उन्हें हटाने की मांग उठी, जो कि राज्यसभा में पिछले साल दिसंबर में विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव से काफी पहले की बात है.तृणमूल कांग्रेस ने 2020 में ही की थी हटाने की मांगदिसंबर 2020 में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पांच सांसदों ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पद से हटाने की मांग की गई थी. सांसदों ने उन पर आरोप लगाया कि वे “दिल्ली में बैठे राजनीतिक आकाओं' के आदेशों पर काम कर रहे हैं और राज्य सरकार को निशाना बनाकर एक खास राजनीतिक एजेंडा चला रहे हैं.