बेहद खतरनाक था ओमासा बिन लादेन का ये डॉक्टर, अमेरिका ने रखा था 200 करोड़ का इनाम

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दुनिया में जब भी आतंकवाद का जिक्र होता है तो अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन का नाम जरूर आता है. ओसामा बिन लादेन आतंक की दुनिया का वह नाम था, जिसने अमेरिका जैसे सुपरपॉवर देश की भी नाक में दम कर रखा था. 2 मई, 2011 को अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा को मार गिराया था. ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद दुनिया को लगा था कि अब आतंक से निजात मिलेगी, लेकिन इसके बाद एक ऐसा आतंकी सामने आया, जिसने अलकायदा को न केवल जिंदा रखा, बल्कि दुनियाभर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया. दुनिया इसे ओसामा-बिन-लादेन के डॉक्टर के तौर पर पहचानती है. आज हम आपको अलकायदा के ऐसे आतंकी की कहानी बताएंगे, जिस पर अमेरिका ने करीब 200 करोड़ का इनाम रखा था और इसका खात्मा करने में कई साल लग गए. ओसामा की मौत के बाद बना था अलकायदा का चीफ2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद उसके करीबी अयमान अल-जवाहिरी ने अलकायदा की कमान अपने हाथ में ले ली थी. इसके बाद जवाहिरी ने दुनिया में खूब आतंक फैलाया. बता दें, जवाहिरी का जन्म 19 जून 1951 में मिस्र के एक संपन्न परिवार में हुआ था. अरबी और फ्रेंज भाषा पर पकड़ रखने वाला जवाहिरी पेशे से एक सर्जन था और 14 साल की उम्र में हभ मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य बन गया था. आगे चलकर उसने इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद (EJI) का भी गठन किया था. 1985 में हुई ओसामा बिन लादेन से मुलाकातअल-जवाहिरी और ओसामा बिन लादेन की पहली मुलाकात 1985 में सऊदी में हुई थी. यहीं से दोनों करीब आए और आतंक का यह गठजोड़ ऐसा फला फूला कि 2001 में अल जवाहिरी ने EIJ का विलय अलकायदा में कर लिया. इसके बाद दोनों ने मिलकर दुनियाभर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया और हजारों को बेकसूर लोगों को जिहाद के नाम पर मौत के घाट उतार दिया. 2011 में जब अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन की मौत हुई तो अल-जवाहिरी ने संगठन की कमान अपने हाथ में ले ली थी. 2022 में मारा गया अल-जवाहिरीओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अलकायदा का नया चीफ अल-जवाहिरी अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका था. अमेरिका ने उसके ठिकाने की तलाश दुनियाभर में की, लेकिन उसका पता 2020 तक नहीं चला. इस बीच कई खबरें ऐसी आईं, जिसमें उसकी मौत की बात कही गई. आखिरकार अमेरिका ने 2022 में अफगानिस्तान के काबुल में एक ड्रोन स्ट्राइक में जवाहिरी को मार गिराया. इस समय उसकी उम्र करीब 71 वर्ष थी. यह भी पढ़ें: शहरों का नाम बदले जाने के बाद भी क्यों नहीं बदलता है हाईकोर्ट का नाम? ये रहा जवाब