मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में बुधवार (23 जुलाई, 2025) को एक सवाल के जवाब में मोबाइल उपभोक्ताओं के लिहाज से एक बड़ी जानकारी जवाब के तौर पर दी है. केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि भारत में मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए USB Type-C पोर्ट को अपनाने को लेकर फिलहाल कोई अनिवार्यता नहीं है. यह जानकारी लोकसभा में पूछे गए एक लिखित सवाल के जवाब में सामने आई है.TMC सांसद के सवाल पर केंद्र सरकार ने दिया जवाबपश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सौगत रॉय ने इस मामले को लेकर संसद के निचले सदन लोकसभा में केंद्र सरकार से सवाल किया. केंद्र सरकार की ओर से इस सवाल के जवाब केंद्रीय संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने दिया. उन्होंने कहा, “भारत में मोबाइल डिवाइस निर्माताओं के लिए USB Type-C को स्टैंडर्ड चार्जिंग पोर्ट के रूप में अपनाने की कोई बाध्यता नहीं है.”यूरोपीय संघ ने टाइप-सी को एकल चार्जिंग मानक के रूप में कर दिया है लागूकेंद्रीय संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब यूरोपीय संघ जैसे कई देश उपभोक्ताओं की सुविधा और ई-वेस्ट को कम करने के लिए यूएसबी केबल में Type-C को एकल चार्जिंग मानक के रूप में लागू कर चुके हैं. भारत में भी इस मुद्दे पर काफी वक्त से चर्चा चल रही थी. इसके साथ यह उम्मीद की जा रही थी कि हो सकता है कि केंद्र सरकार इस दिशा में कोई नई नीति ला सकती है.क्या है Type-C पोर्ट का महत्व?USB Type-C एक आधुनिक चार्जिंग और डेटा ट्रांसफर पोर्ट है, जो तेज गति और बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करता है. यदि इसे मोबाइल, हेडफोन, ईयरपॉड, स्पीकर समेत अन्य सभी तरह के डिवाइस के लिए अनिवार्य किया जाए, तो उपभोक्ताओं को हर डिवाइस को अलग-अलग तरह के चार्जर रखने की जरूरत नहीं होगी. इसके अलावा, अगर इस मुद्दे को लेकर कोई नई नीति बनती है तो इससे देश में बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) में भी कमी आएगी.यह भी पढ़ेंः 'हिंदुस्तान में इलेक्शन चोरी किए जा रहे हैं', राहुल गांधी के बयान पर भड़क गए BJP नेता, बोले- उन्हें जेल में डाल देना चाहिए