पश्चिम बंगाल में आज शहीद दिवस:ममता बनर्जी की TMC का चुनावी शंखनाद भी, मुद्दा- बांग्ला भाषा और अस्मिता; राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव

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पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में हो सकते हैं, लेकिन यहां की सड़कें अभी से चुनावी रंग में रंगने लगी हैं। इसकी एक और बड़ी वजह है- शहीद दिवस रैली, जो सोमवार को कोलकाता के धरमतल्ला में है। इस रैली में तृणमूल कांग्रेस की चीफ और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्टी का विजन रखेंगी। साथ ही TMC के चुनावी अभियान का शंखनाद करेंगी। उन्होंने रविवार को कहा- विपक्ष इस रैली को रोकना चाहता है, क्योंकि ये रैली लोकतंत्र बचाने और तानाशाही के खिलाफ है। दैनिक भास्कर की टीम भी रैली को कवर करने यहां पहुंची है। तृणमूल नेताओं से बातचीत और शहर की दो अन्य रैली से साफ हो गया है कि इस बार तृणमूल बांग्ला भाषा और बंगाली अस्मिता को बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है। प्रवासी बांग्ला भाषियों पर अत्याचार का आरोप लगाकर तृणमूल चीफ ममता बनर्जी 4 दिन पहले कोलकाता में सड़क पर उतर चुकी हैं। 2011 में ‘मां, माटी, मानुष’ और 2021 में ‘खेला होबे’ के नारे के साथ सत्ता में पहुंचीं ममता फिर नया नारा दे सकती हैं। वहीं, बिहार के वोटर लिस्ट रिवीजन की गर्मी भी बंगाल में दिख रही है, क्योंकि निर्वाचन आयोग इसे देशभर में कराने की तैयारी में है। हालांकि, ममता इसे बैकडोर से एनआरसी बताकर लागू न करने का ऐलान कर चुकी हैं। पहले जानिए क्या है शहीद दिवस ? पश्चिम बंगाल में 21 जुलाई 1993 को ममता के नेतृत्व में मतदान के लिए पहचान पत्र अनिवार्य करने की मांग पर प्रदर्शन हुआ। ममता तब युवा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष थीं। माकपा के ज्योति बसु सीएम थे। मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलीं। 13 मौतें हुईं। तब से शहीद दिवस मना रहे हैं। भाजपा को 50 सीटों से नीचे लाने की तैयारी में TMCधरमतल्ला के पास उत्तम मंच सभागार में तृणमूल प्रवक्ता रिजू दत्ता ने दैनिक भास्कर से कहा- भाजपा बांग्लाभाषी लोगों को निशाना बना रही है। बांग्ला अस्मिता के लिए हमें भाजपा को सबक सिखाना है। वहीं, तुष्टीकरण के आरोप पर TMC आईटी सेल के महासचिव नीलांजन दास ने कहा- बंगाली लोगों के लिए राम देवता हैं। भगवान राम, जिनकी आराध्य मां दुर्गा और मां काली थीं। भाजपा के लिए भगवान राम का नाम सिर्फ चुनावी नारा है। भाजपा की 3 चुनौतियां... TMC की 3 चुनौतियां... चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल के लोगों की राय सियालदह स्टेशन के बाह​र मिले टैक्सी चालक सुभोजीत ने दैनिक भास्कर से कहा- गंदगी, खराब सड़कें, रोजगार, भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं यहां भी हैं। लोग बदलाव चाहते हैं, लेकिन विकल्प नहीं है। कोलकाता में रह रहे यूपी के छात्र सौरभ सिंह दावा किया- बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठ और मुस्लिम तुष्टीकरण बहुत बढ़ा है। सरकार ऐसे लोगों को बढ़ावा देती है। दूसरी ओर बंगाल की सियासत को चार दशक से कवर कर रहे वरिष्ठ प​त्रकार जयंत शॉ कहते हैं.... ज्योति बसु जब तक सीएम रहे, उनका कोई विकल्प नहीं बन सका। भाजपा के पास फेस नहीं है। लोगों को तृणमूल से शिकायत है, लेकिन ममता को लेकर ऐसा नहीं दिखता। भाजपा 70% हिंदू आबादी को साधने में जुटीबंगाल में 70% हिंदू और 30% मुस्लिम आबादी है। मुस्लिम वोटरों की एकजुटता के कारण TMC हर चुनाव में मजबूत खड़ी होती है। हालांकि, हिंदुओं का वोट TMC और भाजपा में बंट जाता है। 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 50% हिंदुओं और 7% मुस्लिमों को वोट मिला था। वहीं, TMC को 39% हिंदुओं और 75% मुस्लिमों ने वोट दिया। ऐसे में भाजपा 2026 चुनाव से पहले हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा हिंदू वोट उसे मिलें। इसके लिए भाजपा, संघ और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने 6 अप्रैल को रामनवमी से 12 अप्रैल को हनुमान जयंती तक पूरे राज्य में धार्मिक शोभायात्राओं और रैलियां निकालने में पूरी ताकत झोंक दी। दूसरी तरफ, सत्ताधारी पार्टी इस उहापोह में रही कि खुद को हिंदू विरोधी न दिखने दिया जाए। एंटी-हिंदू इमेज से बचने के लिए TMC को भी रामनवमी पर रैलियां निकालकर यह बताना पड़ा कि वह हिंदू विरोधी नहीं है। ​​​​​..................... पश्चिम बंगाल की राजनीति से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... क्या हिंदूवादी एजेंडे से बंगाल जीतेगी भाजपा, 2026 में चुनाव: भागवत ने स्ट्रैटजी तय की; 4% वोट बन सकता है गेम चेंजर पश्चिम बंगाल में अगले साल मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होंगे। चुनावी सुगबुगाहट अभी से शुरू हो गई है। रामनवमी और हनुमान जयंती पर इसकी झलक भी दिखी, जब तृणमूल कांग्रेस और भाजपा ने हजारों शोभायात्राओं और रैलियों के जरिए एक दूसरे के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया। पूरी खबर पढ़ें...