इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही सुनवाई करेगा. जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहते अपने घर से जला हुआ कैश मिलने के मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार देने की मांग की है.बुधवार, 23 जुलाई को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिका पर सुनवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट में रखी. सिब्बल ने कहा कि जस्टिस वर्मा ने अपने खिलाफ आई रिपोर्ट और उन्हें पद से हटाने की तत्कालीन चीफ जस्टिस की सिफारिश को चुनौती दी है. मामले में कुछ संवैधानिक सवाल हैं. उन पर सुनवाई होनी चाहिए.वरिष्ठ वकील की बात को सुनने के बाद चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने याचिका पर सुनवाई का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा, 'मुझे इसके लिए विशेष बेंच बनानी पड़ेगी. मैं खुद इस मामले को नहीं सुन सकता. इस मामले में कदम उठाने से पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस ने मुझसे भी सलाह ली थी.'इस साल 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली के घर पर आग लगी थी. आग बुझने के बाद पुलिस और दमकल कर्मियों को वहां बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश दिखा. इस विवाद के बाद जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया. साथ ही उन्हें न्यायिक कार्य से भी अलग कर दिया गया. यानी वह जज तो हैं, पर किसी मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को मामले की जांच के लिए 3 जजों की जांच कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी के अध्यक्ष पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू थे. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावलिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन इसके सदस्य थे.जांच कमेटी ने 4 मई को अपनी रिपोर्ट तत्कालीन चीफ जस्टिस को दे दी थी. इस रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा को दुराचरण का दोषी माना गया. 8 मई को चीफ जस्टिस ने रिपोर्ट को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया. अब जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद में प्रस्ताव लाया जा रहा है.सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा है कि कमेटी ने उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित मौका नहीं दिया. पूर्व निर्धारित सोच के आधार पर काम किया और अपना निष्कर्ष दे दिया. इस बात की जांच की जरूरत थी कि वह कैश किसका है? लेकिन कमेटी ने सही जांच करने की बजाय उनसे कहा कि यह साबित करें कि कैश उनका नहीं है.