शिक्षा में भी जेंडर गैप! प्राइवेट स्कूलों में लड़कियों से कहीं ज्यादा हैं लड़के

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शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है चाहे वह लड़का हो या लड़की. लेकिन भारत में आज भी यह बराबरी कागजों तक ही सीमित है. खासतौर पर जब बात प्राइवेट स्कूलों की आती है, तो यह असमानता और भी साफ हो जाती है. हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट बताती है कि देश के निजी स्कूलों में लड़कियों के मुकाबले लड़कों की संख्या आज भी कहीं ज्यादा है और यह फासला पिछले दस सालों में कम होने के बजाय लगातार बना हुआ है.पिछले एक दशक में भारत में निजी स्कूलों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. सरकारी स्कूलों पर से अभिभावकों का भरोसा घटा है और वे अपने बच्चों को बेहतर सुविधाओं और अंग्रेजी माध्यम की उम्मीद में निजी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं. लेकिन इस बदलाव का फायदा ज्यादातर लड़कों को मिला है.आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले कुल बच्चों में से 61 प्रतिशत लड़के हैं, जबकि लड़कियों की हिस्सेदारी केवल 39 प्रतिशत है. यानी हर 10 छात्रों में सिर्फ 4 ही लड़कियां हैं. इसके उलट, सरकारी स्कूलों में लड़कियों की हिस्सेदारी करीब 49 प्रतिशत है, जो थोड़ी बेहतर स्थिति दिखाती है.ये राज्य कर रहे बेहतर प्रदर्शनरिपोर्ट्स की मानें तो ये असमानता केवल एक या दो राज्यों तक सीमित नहीं है. खासतौर पर उत्तर भारत और पश्चिमी भारत के राज्यों में यह खाई और गहरी है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में प्राइवेट स्कूलों में लड़कियों का नामांकन देश के औसत (48.1%) से भी नीचे है. वहीं पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्य जैसे मेघालय और मिजोरम इस मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जहां लड़कियों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत अधिक है.क्या हैं वजह?अब सवाल ये उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? इसकी कई वजहें सामने आती हैं. सबसे पहली है पारिवारिक सोच. आज भी बहुत से परिवार लड़कों को ही पढ़ाई में निवेश के लायक मानते हैं. दूसरी वजह है प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस, जिससे कई बार परिवार एक ही बच्चे की पढ़ाई अफोर्ड कर सकते हैं और उस स्थिति में वो लड़के को प्राथमिकता देते हैं. तीसरी बड़ी चिंता होती है लड़कियों की सुरक्षा और स्कूल की दूरी, जिसके चलते कई अभिभावक उन्हें दूर के प्राइवेट स्कूलों में नहीं भेजते.यह भी पढ़ें- 8वें वेतन आयोग के बाद चपरासी की सैलरी में होगा बड़ा बदलाव, जानें कितनी मिलेगी तनख्वाह