आजादी के बाद इतने साल तक आम आदमी घर पर नहीं फहरा सकता था तिरंगा, जानिए कैसे मिला यह अधिकार

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भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली लेकिन कई सालों तक आम नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों या निजी संस्थानों में तिरंगा फहराने का अधिकार नहीं था. यह अधिकार केवल सरकारी भवनों, कार्यालयों और विशेष राष्ट्रीय अवसरों तक सीमित था. आइये जानते हैं कि आम नागरिकों को घर पर तिरंगा फहराने का अधिकार कैसे मिला और ये अधिकार किसने दिलवाया.तिरंगा फहराने का अधिकार कैसे मिला?आम नागरिकों को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाने में उद्योगपति और पूर्व सांसद नवीन जिंदल की महत्वपूर्ण भूमिका रही. 1992 में अमेरिका से पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद नवीन जिंदल ने अपनी फैक्ट्री में हर दिन तिरंगा फहराना शुरू किया. प्रशासन ने इसे गैरकानूनी बताते हुए उन्हें चेतावनी दी. जिंदल ने इसे अपने मौलिक अधिकार के रूप में देखा और इस प्रतिबंध को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की. जिंदल का तर्क था कि तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 51A(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है. ये अनुच्छेद कहता है कि तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान करना भारत के हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है. उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि तिरंगा फहराना हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है. इस फैसले के बाद सरकार ने इस अधिकार को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया, जिसका नेतृत्व पीडी शेनॉय ने किया. 2002 में फ्लैग कोड बना और इस तरह आम नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों, फैक्ट्रियों में तिरंगा फहराने की अनुमति मिल गई. बशर्ते वे ध्वज संहिता का पालन करें.2022 में हुए बदलाव2022 में, केंद्र सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान के तहत ध्वज संहिता में दो बड़े बदलाव किए. जिसमें रात में ध्वज फहराने की अनुमति मिली क्योंकि पहले तिरंगा केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता था, लेकिन अब इसे 24 घंटे फहराया जा सकता है. सामग्री में बदलावपहले केवल हाथ से बनी खादी (कपास, रेशम, या ऊन) से बना तिरंगा फहराया जा सकता था, लेकिन अब मशीन से बने कपास, रेशम, ऊन या पॉलिएस्टर के झंडे भी फहराए जा सकते हैं.तिरंगा फहराने के प्रमुख नियमतिरंगा हमेशा केसरिया पट्टी ऊपर की ओर करके फहराया जाना चाहिए.इसे जमीन को नहीं छूना चाहिए, न ही पानी में डुबोया जाना चाहिए.फटा, गंदा या क्षतिग्रस्त झंडा नहीं फहराया जा सकता.ध्वज पर कोई लेखन या चित्र नहीं होना चाहिए.ध्वज को उतारने के बाद सम्मानपूर्वक तह करके सुरक्षित रखा जाना चाहिए.यदि झंडा फट जाए, तो उसे निजी तौर पर सम्मानपूर्वक नष्ट करना चाहिए.केवल संवैधानिक पदों पर बैठे लोग ही अपनी गाड़ियों पर तिरंगा लगा सकते हैं.इसे भी पढ़ें- तिरंगा बनने से पहले कितने डिजाइन किए गए थे तैयार, जानिए इसे सबसे पहले किसने फहराया था?