श्रावण मास की तपती दोपहर, कंधों पर गंगाजल, पैरों में छाले और आंखों में बस एक ही लक्ष्य—भोलेनाथ का दरबार. लेकिन आस्था की इस यात्रा में अब सिर्फ भक्ति नहीं, ट्रोलिंग, सवाल और जिम्मेदारियों की भी कड़ी परीक्षा शामिल हो गई है. जानिए- कावंड़िए इस सब को कैसे देखते हैं.