आज से शुरू हो चुका संसद का मानसून सत्र पूरी तरह से हंगामेदार चल रहा है. विपक्ष सरकार को पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर, डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के दावे और अहमदाबाद विमान हादसे जैसे कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. वहीं इसी सत्र में केंद्र सरकार कई विधेयक भी पेश करने की तैयारी कर रही है. यह सत्र 21 अगस्त तक चलेगा और इस दौरान दोनों सदनों की कुल 21 बैठकें होंगी. आइए जानें कि संसद के कौन कौन से सत्र होते हैं और इनको कैसे बुलाया जाता है. क्या होती है संसद सत्र बुलाने की प्रक्रियाभारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 की मानें तो राष्ट्रपति को संसद सत्र बुलाने का अधिकार होता है. राष्ट्रपति ही संसद सत्र को स्थगित भी कर सकते हैं. सत्र बुलाने के लिए राष्ट्रपति का आदेश दोनों सचिवालयों को भेजा जाता है. जब सत्र की तारीख तय हो जाती है तो लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय सत्र में आने के लिए सांसदों को समन भेजा जाता है. राष्ट्रपति संसद सत्र बुलाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह लेते हैं और संसदीय कार्य मंत्रालय के द्वारा सत्र की तारीखें और एजेंडा तय किया जाता है.जब सत्र की तारीख तय हो जाती है तो संसदीय कार्य मंत्री इसका एलान करते हैं. संविधान के अनुसार संसद का सत्र 12 महीने में कम से कम दो बार जरूर बुलाया जाना चाहिए. लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति सदनों की कार्यवाही का संचालन करते हैं. कितने तरह से होते हैं संसद के सत्रसंसद के सत्र तीन प्रकार के होते हैं. पहला होता है बजट सत्र, दूसरा है मानसून सत्र और तीसरा है शीतकालीन सत्र. संविधान में वैसे तो सत्र को लेकर कोई निश्चित तारीख तय नहीं है, लेकिन दो सत्रों के बीच में छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए. आइए अब इनके बारे में विस्तार से जानें-बजट सत्रबजट सत्र साल का सबसे पहला और सबसे लंबा सत्र होता है. यह फरवरी से मई के बीच में बुलाया जाता है. इस सत्र में केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष का बजट पेश करती है. इसमें वित्त विधेयक और अन्य आर्थिक नीतियों पर चर्चा की जाती है. मानसून सत्रमानसून सत्र जुलाई से अगस्त या सितंबर तक चलता है. इसमें विधेयक पेश किए जाते हैं और सरकार की नीतियों व राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाती है. आमतौर पर संसद के सत्र हंगामेदार होते हैं और विपक्ष सरकार को तमाम मुद्दों पर घेरने की कोशिश करती है.शीतकालीन सत्रशीतकालीन सत्र को नवंबर या दिसंबर में बुलाया जाता है. इसमें भी सरकार की नीतियों पर चर्चा की जाती है और विधायी कार्य भी किए जाते हैं. यह लेजिस्लेटिव एक्शन, वर्षांत समीक्षा और कुछ जरूरी मामलों के लिए किया जाता है. यह बाकी के सत्र के मुकाबले छोटा होता है.विशेष सत्रविशेष सत्र किसी आपातकालीन स्थिति में बुलाया जाता है. अगर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई मुद्दा है तो खास परिस्थिति में संसद का विशेष सत्र भी बुलाया जाता है, जिसको कि राष्ट्रपति, मंत्रिमंडल की सलाह पर बुला सकते हैं. यह भी पढ़ें: संसद का मानसून सत्र आज से शुरू, जानिए एक घंटे की कार्यवाही के लिए कितना खर्च करती है भारत सरकार?