सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को समन भेजे जाने पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को खूब फटकार लगाई है. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोप लगाया कि ईडी के खिलाफ कुछ राजनेता इंटरव्यू के जरिए नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस पर मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) ने आपत्ति जताई और कहा कि जजों के पास इतना समय नहीं होता कि वे यूट्यूब देखें.इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, इन-हाउस लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य कानूनी निकायों ने हस्तक्षेप आवेदन दाखिल कर कोर्ट को बताया कि अपने क्लाइंटस को लीगल एडवाइस दिए जाने पर ईडी ने कई सीनियर एडवोकेट को समन भेजा है. मुद्दा ये था कि हस्तक्षेप आवेदन में ईडी की तरफ से वकीलों को समन भेजे जाने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए जाने की मांग की गई, जबकि ईडी का तर्क ये था कि कई बार मर्डर केस जैसे मामलों में लोग लाश को छिपाने के लिए भी वकील से सलाह मांगते हैं.मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृ्ष्ण गवई ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोई वकील अपने मुवक्किल को गलत सलाह देता भी है तो उसको समन कैसे भेज सकते हैं. इसके लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किया जाना जरूरी है. सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि ईडी के इस एक्शन का कानूनी पेशे पर असर पड़ रहा है. उन्होंने दूसरे देशों का जिक्र करते हुए कहा, 'हमने तुर्किए में देखा कि कैसे पूरी बार एसोसिएशन को भंग कर दिया गया. हमने चीन में भी कुछ इसी तरह की चीजें देखीं. हमें उस दिशा में नहीं जाना चाहिए. कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित किया जाना जरूरी है.' सीजेआई गवई ने भी एडवोकेट विकास सिंह की बात पर सहमति जताई और कहा कि वह एक एमिकस क्यूरि नियुक्त करेंगे और अगले हफ्ते मामले में सुनवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि हम सभी वकील हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडी की तरफ से कहा कि एजेंसी की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है. एजेंसी के खिलाफ कहानी गढ़ने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि राजनेता इंटरव्यू के जरिए भी ऐसा कर सकते हैं कई बार कोर्ट की व्यापक टिप्पणियों से गलत धारणा बन जाती है. एसजी तुषार मेहता की दलील पर सीजेआई बीआर गवई ने कहा, 'हमारे पास अखबार पढ़ने या यूट्यूब देखने का समय नहीं होता है. मुझे फिल्म देखने का मौका भी तब मिला जब पिछले हफ्ते मैं अस्पताल में भर्ती हुआ.' एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वह ये नहीं कह रहे कि अदालतें किसी इंटरव्यू या नैरेटिव से प्रभावित हैं.सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि सीनियर एडवोकेट अरविंद दतार को भी ईडी ने समन भेजा, जबकि वह स्पेन में थे और उन्हें काफी मानसिक आघात का सामना करना पड़ा. एसजी मेहता ने वकील को टोकते हुए कहा कि जैसे ही अथॉरिटी को यह पता चला कि वह स्पेन में हैं तो छह घंटें के अंदर ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था कि ईडी ने समन नहीं भेजा है.एसजी तुषार मेहता ने गुजरात के एक मामले का भी जिक्र किया और कहा कि एक शख्स ने मर्डर के बाद लाश को छिपाने के लिए वकील से कानूनी सलाह मांगी थी. इस पर सीजेआई गवई ने कहा, 'वो तो एक आपराधिक मामला है. वो अलग मामला है. मुद्दा ये है कि आपको वकील को समन भेजने से पहले अनुमति लेनी होगी.'